Monday, April 28, 2025
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हिंदुस्तान ने फिर रचा इतिहास: ISRO ने दूसरी बार की स्पेस डॉकिंग, भारत बना स्पेस टेक्नोलॉजी का सिरमौर

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO ने एक बार फिर अपनी तकनीकी काबिलियत का लोहा मनवाया है। इसरो ने SPADEx मिशन के तहत दूसरी बार दो सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक जोड़ दिया है। ये डॉकिंग 13 अप्रैल को हुई और इसकी जानकारी खुद केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया पर साझा की।

जनवरी में पहली बार किया था ऐतिहासिक डॉकिंग

इससे पहले 16 जनवरी को सुबह 6:20 बजे ISRO ने पहली बार दो सेटेलाइट्स को अंतरिक्ष में डॉक किया था। फिर 13 मार्च को दोनों सैटेलाइट्स को अनडॉक किया गया, यानी उन्हें अलग किया गया था। इसके बाद अब दोबारा डॉकिंग करके ISRO ने दिखा दिया है कि भारत इस तकनीक में महारत हासिल कर चुका है।

भारत बना चौथा देश, जो अंतरिक्ष में दो स्पेसक्राफ्ट को जोड़ पाया

भारत ने 16 जनवरी को पहली स्पेस डॉकिंग करके खुद को दुनिया के टॉप देशों की लिस्ट में शामिल कर लिया था। इससे पहले ये कारनामा सिर्फ रूस, अमेरिका और चीन ही कर पाए थे। इस सफलता से ISRO को भविष्य के मिशनों जैसे चंद्रयान-4 और गगनयान में काफी मदद मिलेगी।

SPADEx मिशन: डॉकिंग तकनीक का अनोखा अभ्यास

SPADEx यानी Space Docking Experiment मिशन को 30 दिसंबर 2024 को PSLV-C60 रॉकेट से लॉन्च किया गया था। दो छोटे स्पेसक्राफ्ट — एक टारगेट और दूसरा चेजर — को अलग-अलग कक्षाओं में भेजा गया। उनकी स्पीड लगभग 28,800 किलोमीटर प्रति घंटे थी। दोनों को जमीन से गाइड किया गया और एक-दूसरे के बेहद करीब लाया गया।

डॉकिंग तकनीक का जटिल प्रोसेस, भारत ने खुद बनाई सिस्टम

इसरो ने इस पूरी डॉकिंग प्रक्रिया के लिए अपना खुद का डॉकिंग मैकेनिज्म विकसित किया है जिसे ‘भारतीय डॉकिंग सिस्टम’ कहा गया है। किसी भी देश ने अब तक इस तकनीक को शेयर नहीं किया था, इसलिए भारत ने इसे खुद डिजाइन किया और इस पर पेटेंट भी ले लिया।

भविष्य के मिशनों में अहम रोल निभाएगा ये अनुभव

अब ये डॉकिंग तकनीक चंद्रयान-4 मिशन में काम आएगी, जहां चांद से मिट्टी के सैंपल वापस लाने हैं। गगनयान मिशन के लिए, जिसमें इंसानों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा, ये तकनीक बेहद जरूरी साबित होगी।

POEM मॉड्यूल से भेजे गए 24 पेलोड, माइक्रोग्रेविटी में होंगे प्रयोग

इस मिशन में ISRO ने POEM यानी PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल के जरिए 24 पेलोड भी भेजे हैं। इसमें 14 ISRO के हैं और बाकी 10 प्राइवेट संस्थाओं के। इनका इस्तेमाल माइक्रोग्रेविटी में वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए होगा।

भारत ने एक बार फिर अंतरिक्ष जगत में अपनी धमक दिखाई

ISRO की ये दूसरी सफल डॉकिंग न सिर्फ टेक्नोलॉजी में भारत की आत्मनिर्भरता का सबूत है, बल्कि ये आने वाले सालों में भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में और मजबूत बनाएगा। भारत अब सिर्फ रॉकेट लॉन्चिंग तक सीमित नहीं, बल्कि स्पेस स्टेशन और इंटरप्लेनेटरी मिशनों की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।

 Nationalbreaking.com । नेशनल ब्रेकिंग - सबसे सटीक

  1. ISRO ने SPADEx मिशन के तहत दूसरी बार अंतरिक्ष में दो सैटेलाइट्स को डॉक किया।
  2. भारत दुनिया का चौथा देश बना, जिसने स्पेस में डॉकिंग करने की तकनीक हासिल की।
  3. PSLV-C60 से 30 दिसंबर को लॉन्च हुए थे दो छोटे स्पेसक्राफ्ट — टारगेट और चेजर।
  4. इसरो ने खुद का ‘भारतीय डॉकिंग सिस्टम’ तैयार किया, जिस पर पेटेंट भी ले लिया गया।
  5. यह तकनीक गगनयान, चंद्रयान-4 और भविष्य के अंतरिक्ष स्टेशन प्रोजेक्ट्स में अहम साबित होगी।
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