हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि इस घातक रोग को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके। भले ही भारत में इसके मामलों में गिरावट दर्ज की गई हो, लेकिन यह बीमारी अब भी दुनिया के कई हिस्सों में महामारी की तरह फैली हुई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार, साल 2020 में मलेरिया ने 24 करोड़ से अधिक लोगों को अपनी चपेट में लिया। हैरानी की बात यह है कि कुल मामलों में से 95% केस और 96% मौतें अकेले अफ्रीकी देशों में दर्ज की गईं।
कैसे फैलता है मलेरिया
मलेरिया एक संक्रामक रोग है, जो मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर अपने साथ प्लाज्मोडियम नामक पैरासाइट लेकर आता है। जब मच्छर किसी इंसान को काटता है, तो यह परजीवी शरीर में प्रवेश कर लिवर और रक्त कोशिकाओं पर हमला करने लगता है। यही वह चरण होता है जब लक्षण दिखने शुरू होते हैं।
मलेरिया के 5 प्रकार: हर एक की पहचान और प्रभाव अलग
विशेषज्ञों के अनुसार, मलेरिया एक ही प्रकार का नहीं होता, बल्कि प्लाज्मोडियम की पांच अलग-अलग प्रजातियां हैं, जो इंसानों को प्रभावित कर सकती हैं।
1. प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम (P. falciparum)
यह मलेरिया का सबसे आम और खतरनाक प्रकार है। इसके लक्षण मच्छर के काटने के 48 घंटे के भीतर दिखने लगते हैं। मरीज को अचानक तेज बुखार, बेहोशी और कमजोरी हो सकती है।
2. प्लाज्मोडियम वीवेक्स (P. vivax)
दक्षिण-पूर्व एशिया और लैटिन अमेरिका में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला यह मलेरिया, फाल्सीपेरम के बाद सबसे आम है। इसके पैरासाइट लिवर में छिपकर लंबे समय तक सक्रिय रह सकते हैं।
3. प्लाज्मोडियम ओवेल (P. ovale)
यह दुर्लभ प्रकार का मलेरिया है जो बिना लक्षण के भी शरीर में रह सकता है। इसका पैरासाइट लिवर में सालों तक छिपा रह सकता है और भविष्य में दोबारा संक्रमण कर सकता है।
4. प्लाज्मोडियम मलेरिए (P. malariae)
इसे क्वार्टन मलेरिया भी कहा जाता है। इसमें मरीज को हर चौथे दिन बुखार आता है। इस प्रकार में रोगी के पेशाब में प्रोटीन की कमी हो सकती है, जिससे शारीरिक दुर्बलता बढ़ती है।
5. प्लाज्मोडियम नोलेसी (P. knowlesi)
यह पूर्वी एशिया में पाया जाने वाला एक प्रकार है, जिसमें रोगी को बुखार, कंपकंपी और भूख न लगने की समस्या होती है। इसकी प्रगति तेज होती है, इसलिए समय पर इलाज जरूरी है।
मलेरिया से बचाव के असरदार तरीके
मलेरिया को रोकने के लिए मच्छरों से बचाव सबसे जरूरी कदम है। इसके लिए कुछ साधारण लेकिन कारगर उपाय अपनाए जा सकते हैं:
- घर और आसपास पानी इकट्ठा न होने दें, खासकर कूलर, टंकी, गमले जैसी जगहों पर।
- पानी में मिट्टी का तेल डालना मच्छरों के लार्वा को पनपने से रोक सकता है।
- पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें और शरीर को मच्छर काटने से बचाएं।
- मच्छरदानी में सोने की आदत डालें, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए।
- घर के अंदर और बाहर कीटनाशकों का छिड़काव करें।
- बुखार और कंपकंपी जैसे लक्षण दिखते ही डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
