Monday, April 28, 2025
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गंगा सप्तमी पर शिववास और रवियोग का विशेष संयोग, गंगाजल से शुद्धि और दान-पुण्य से मिलेगा मोक्ष का मार्ग

मां गंगा की पूजा का विशेष दिन यानी गंगा सप्तमी इस बार 3 मई को मनाई जाएगी। यह हिंदू पंचाग के अनुसार हर साल वैशाख शुक्ल सप्तमी पर आती है। इस बार गंगा सप्तमी पर तीन विशेष योग भी बन रहे हैं। ज्योतिष के अनुसार गंगा सप्तमी पर त्रिपुष्कर योग, शिववास योग, रवियोग, और साथ ही पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र का विशेष संयोग भी बन रहा है, जो इस पर्व की आध्यात्मिक ऊर्जा को और भी प्रभावशाली बना देता है।

गंगाजल का पवित्र स्पर्श: शुद्धता का प्रतीक

गंगा को भारतीय संस्कृति में मोक्षदायिनी माना गया है। जिन श्रद्धालुओं के लिए नदी तक पहुंच पाना संभव नहीं है, वे गंगाजल को स्नान जल में मिलाकर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। मान्यता है कि गंगाजल के संपर्क से घर का वातावरण शुद्ध होता है, नकारात्मकता दूर होती है और मन में सकारात्मक भावों का संचार होता है।

पूजा विधि: श्रद्धा के साथ सादगी

गंगा सप्तमी के दिन प्रातः स्नान के बाद घर के पूजास्थल में दीप प्रज्वलित करें, देवी गंगा का ध्यान करें और गंगाजल से अभिषेक करें। पुष्प अर्पित कर आरती करें और गाय के घी का दीपक जलाकर पूजा पूर्ण करें। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है, विशेषकर जल से भरी मटकी या अन्न का दान करने से अनेक जन्मों का पुण्य प्राप्त होता है।

गंगा सप्तमी के शुभ योग: एक दुर्लभ संयोग

  • त्रिपुष्कर योग: इस योग में किया गया पुण्यकर्म तीन गुना फलदायी माना जाता है।
  • शिववास योग और रवियोग: ये दोनों योग देवताओं की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत लाभकारी हैं।
  • पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र: आध्यात्मिक शुद्धि और मानसिक शांति के लिए अनुकूल समय।

गंगा सप्तमी तिथि और शुभ समय

  • सप्तमी तिथि प्रारंभ – 03 मई सुबह 07:51 बजे
  • सप्तमी तिथि समाप्त – 04 मई सुबह 07:18 बजे
  • पूजन और स्नान का शुभ समय – 03 मई प्रातःकाल से दोपहर तक

समाज और संस्कृति में गंगा का स्थान

गंगा केवल एक नदी नहीं, संस्कृति और श्रद्धा की जीवनधारा है। देवी गंगा को विष्णुपदी, भागीरथी और शुभ्रा जैसे नामों से पुकारा जाता है। मान्यता है कि गंगाजल में केवल शारीरिक ही नहीं, मानसिक और आत्मिक शुद्धि की भी शक्ति होती है। यही कारण है कि यह पर्व केवल धार्मिक नहीं, सामाजिक चेतना और धार्मिक एकता का भी प्रतीक बन चुका है।

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  • गंगा सप्तमी 2025 इस वर्ष 3 मई को मनाई जाएगी, जब त्रिपुष्कर योग, शिववास योग, पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र एक साथ पड़ रहे हैं।
  • इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य, और मां गंगा की पूजा करने से नकारात्मकता दूर होती है और यश, सम्मान व मोक्ष की प्राप्ति संभव मानी जाती है।
  • जो लोग गंगा नदी में स्नान नहीं कर सकते, वे घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करके भी पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।
  • गंगाजल से घर की शुद्धि, दीप प्रज्वलन, अभिषेक, और आरती करने की परंपरा से घर में सुख-शांति आती है।
  • यह पर्व पद्म पुराण में वर्णित है और भगवान शिव और देवी गंगा की पूजा का विशेष महत्व इस दिन रहता है।

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