आज (27 अप्रेल, रविवार) को अमावस्या है। वैशाख माह की इस अमावस्या के सतुवाई अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सूर्य पूजन, पितरों के तर्पण और सत्तू दान का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रविवार और अमावस्या का संयोग अत्यंत पुण्यकारी होता है। सूर्य को इस दिन अर्घ्य अर्पित करने से जीवन में ऊर्जा, शांति और सौभाग्य का संचार होता है।
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर सूर्य को तांबे के लोटे से जल अर्पित करें। जल में लाल फूल और गुड़ मिलाकर “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का उच्चारण करते हुए अर्घ्य देने से आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
पितरों के प्रति श्रद्धा: धूप-ध्यान और तर्पण का महत्व
वैशाख अमावस्या पर दोपहर 12 बजे के आसपास कुतप काल में पितरों के लिए धूप-ध्यान करने की परंपरा है। गोबर के कंडे जलाकर जब अग्नि मंद हो जाए, तब गुड़ और घी से धूप अर्पित करना शुभ माना गया है। साथ ही, पवित्र नदियों में स्नान कर तिल, वस्त्र और जल का तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है और परिवार पर आशीर्वाद बना रहता है।
पितरों के लिए विशेष रूप से चावल और सत्तू का दान करने का उल्लेख है। चावल को देवताओं और पितरों का प्रिय अन्न कहा गया है, इसलिए इस दिन चावल से बने खाद्य पदार्थों का तर्पण और दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।
सत्तुवाई अमावस्या पर क्यों करें सत्तू दान?
सत्तुवाई अमावस्या पर सत्तू दान करने की विशेष परंपरा है। सत्तू, चावल या चने से तैयार किया जाता है, जिसे हविष्य अन्न कहा गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सत्तू का दान करने से पितरों की तृप्ति होती है और व्यक्ति को पुण्य लाभ के साथ जीवन में स्थिरता और संतुलन प्राप्त होता है। यह परंपरा समाज में परस्पर सहयोग और मानवीय संवेदनाओं को भी सशक्त करती है।
दान और सेवा से बढ़ेगी समृद्धि और सौहार्द
वैशाख अमावस्या पर दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन जरूरतमंदों को जूते-चप्पल, छाता, पानी, भोजन और वस्त्र दान करना श्रेष्ठ माना जाता है। प्याऊ लगवाना, राहगीरों को शीतल जल उपलब्ध कराना, तथा मौसमी फल जैसे आम, तरबूज का दान करना भी अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।
इसके अलावा, पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करना, मंदिरों में पूजा सामग्री जैसे धूपबत्ती, घी, तांबे के बर्तन दान करना भी शुभ होता है। शिवलिंग पर जलधारा स्थापित करने के लिए मिट्टी के कलश दान करना विशेष फलदायी माना गया है। हनुमान जी के समक्ष दीपक जलाकर सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करने से आत्मबल और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
वैशाख अमावस्या का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संदेश
वैशाख मास को धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना गया है। स्कंद पुराण के अनुसार, इस मास की अमावस्या को पवित्र नदियों में स्नान और तर्पण करने से कोटि-गया के समान पुण्य प्राप्त होता है। वृक्षारोपण, प्याऊ लगाना और जरूरतमंदों की सेवा करना न केवल सामाजिक सद्भाव बढ़ाता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम भी बनता है।
पितरों की संतुष्टि के लिए इस दिन किए गए श्राद्ध और दान कार्य व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, संतोष और आत्मिक बल का आधार बनते हैं। वैशाख अमावस्या इस बात का प्रतीक है कि जीवन में भौतिक प्रगति के साथ आध्यात्मिक संतुलन भी आवश्यक है।