उदयपुर में महाराणा प्रताप की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागडे ने इतिहास की प्रामाणिकता को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत के प्रारंभिक ऐतिहासिक दस्तावेज विदेशियों द्वारा लिखे गए, जिनमें कई भ्रम और झूठ शामिल हैं।
बागडे ने अकबरनामा का हवाला देते हुए कहा कि उसमें खुद अकबर की शादी का कोई जिक्र नहीं मिलता। “आमेर की राजकुमारी और अकबर के विवाह की बात झूठी है,” उन्होंने कहा। साथ ही यह भी जोड़ा कि यह बात उन्होंने सुनी है, स्वयं पढ़ा नहीं है।
इतिहास में महाराणा को कम जगह
राज्यपाल का मानना है कि इतिहास की किताबों में महाराणा प्रताप के बजाय अकबर को ज्यादा महत्त्व दिया गया। उन्होंने कहा कि प्रताप ने कभी आत्मसम्मान से समझौता नहीं किया और अकबर को संधि के लिए कोई चिट्ठी नहीं लिखी, जैसा कि कुछ स्रोतों में बताया गया है।
हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि नई शिक्षा नीति के जरिए अब नई पीढ़ी को अपने गौरवशाली अतीत से परिचित कराने की दिशा में काम हो रहा है।
शिवाजी और प्रताप समकालीन होते तो…
बागडे ने वीरता की मिसाल देते हुए कहा, “अगर महाराणा प्रताप और शिवाजी महाराज एक ही कालखंड में होते, तो भारत की तस्वीर ही अलग होती।”
उन्होंने बताया कि दोनों को देशभक्ति और स्वाभिमान का प्रतीक माना जाता है। कार्यक्रम में राज्यपाल ने भारत-पाक सीमा पर बसे ग्रामीणों की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे असली भारत की पहचान हैं। उन्होंने कहा, “जब युद्ध के समय गोलियां चल रही होती हैं, तब ये ग्रामीण भारत माता के जयकारों से सेना का मनोबल बढ़ाते हैं।”
यह देशभक्ति और जमीनी हिम्मत की वो तस्वीर है, जिसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है।
कार्यक्रम में प्रमुख नेता रहे मौजूद
इस अवसर पर राज्यसभा सांसद एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ और सांसद चुन्नीलाल गरासिया भी मंच पर मौजूद रहे। कार्यक्रम का उद्देश्य महाराणा प्रताप की जयंती पर देशभक्ति, इतिहास की पुनर्याख्या और सांस्कृतिक जागरूकता को जनमानस तक पहुँचाना था।