अक्षय तृतीया को सनातन संस्कृति में अमूल्य पुण्यफल देने वाला दिन माना गया है। यह पर्व न केवल देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष अवसर होता है, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
इस दिन किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत को बाधा रहित और फलदायी माना जाता है। खरीदारी, विवाह, गृह प्रवेश, और धार्मिक आयोजन इस दिन बिना किसी मुहूर्त के भी किए जा सकते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी कार्य हैं, जिन्हें इस दिन करने से देवी लक्ष्मी रुठ सकती हैं। इसलिए आज के दिन भूलकर भी इन कार्यों को नहीं करना चाहिए।
किन कार्यों से रुठ सकती हैं समृद्धि की देवी
- झूठ, कलह और अपवित्र कार्यों से बचें: इस दिन किसी भी प्रकार की नकारात्मकता, जैसे झूठ बोलना, गाली-गलौच, चोरी या जुए से बचने की सलाह दी जाती है। मान्यता है कि ऐसे कर्म अक्षय पुण्य को नष्ट कर देते हैं।
- शाम को न करें झाड़ू-पोंछा: धार्मिक मान्यता के अनुसार, शाम के बाद झाड़ू लगाने से देवी लक्ष्मी का वास घर से हट जाता है। घर की सफाई सुबह या दोपहर तक कर लेनी चाहिए।
- बड़ों का अपमान न करें: बड़े-बुज़ुर्गों और जरूरतमंदों के साथ दयालु व्यवहार करना इस दिन विशेष रूप से पुण्यकारी माना गया है।
- उधार लेकर खरीदारी न करें: इस दिन कर्ज़ लेकर कोई वस्तु खरीदना दरिद्रता का कारण बन सकता है, इसलिए सामर्थ्य अनुसार ही दान और खरीदारी करें।
मां लक्ष्मी काे प्रसन्न करने के लिए लगाएं ये भोग
इस शुभ दिन पर देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने हेतु कुछ विशेष पारंपरिक भोग और प्रतीकात्मक प्रसाद अर्पित किए जाते हैं:
- सफेद खीर और मिश्री – शांति और सौम्यता का प्रतीक।
- बताशे – शुक्रवार को अर्पण करने से बढ़ती है समृद्धि।
- मखाने की खीर – पवित्रता और सात्विकता को दर्शाती है।
- देसी घी से बना हलवा – विशेष रूप से पूजा में अर्पित किया जाता है।
- पीली मिठाइयाँ और लड्डू – भगवान विष्णु के प्रिय, शुभता के प्रतीक।
इन भोगों के साथ माँ लक्ष्मी की पूजा, शांत मन और श्रद्धा से करने पर घर में धन, सुख और स्थिरता के द्वार खुलते हैं।
दान और सेवा का विशेष महत्व
अक्षय तृतीया पर किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति, पशु या पक्षी को अन्न और जल देना एक अत्यंत शुभ कार्य माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन बिना मांगे भी अन्न और जल देने से कई जन्मों का पुण्य प्राप्त होता है।