हरियाणा के चर्चित आईएएस अफसर अशोक खेमका आखिरकार सेवा से रिटायर हो गए। 34 साल के करियर में उन्होंने 57 बार तबादले झेले। कई बार तो उन्हें एक महीने भी किसी पोस्ट पर टिकने का मौका नहीं मिला। बावजूद इसके उन्होंने न तो सिस्टम के आगे घुटने टेके और न ही अपने उसूलों से समझौता किया। यही वजह है कि आज भी लोग उन्हें एक सख्त और ईमानदार अफसर के रूप में याद रखते हैं।
रॉबर्ट वाड्रा लैंड डील रद्द कर बने देशभर में चर्चा का विषय
खेमका तब देशभर की नजरों में आए जब उन्होंने 2012 में रॉबर्ट वाड्रा और DLF के बीच हुई 3.5 एकड़ की लैंड डील का म्यूटेशन रद्द कर दिया। ये जमीन गुरुग्राम के मानेसर-शिकोहपुर इलाके में थी और इसे वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी ने खरीदा था। खेमका के इस कदम ने कांग्रेस सरकार को मुश्किल में डाल दिया और मामला लोकसभा चुनाव 2014 तक गूंजता रहा।
सादगीभरी पृष्ठभूमि, लेकिन पढ़ाई में अव्वल
अशोक खेमका का जन्म कोलकाता में हुआ था। उनके पिता जूट मिल में क्लर्क थे। पढ़ाई में बेहद तेज खेमका ने IIT खड़गपुर से कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन किया, फिर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से PhD भी पूरी की। UPSC पास कर 1991 में वे हरियाणा कैडर के IAS बने। उनकी शैक्षणिक योग्यता हमेशा उनके आत्मविश्वास और फैसलों की ताकत बनी रही।
अनिल विज ने परिवहन विभाग में तैनात करवाया
रिटायरमेंट से सिर्फ 5 महीने पहले खेमका को हरियाणा परिवहन विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव बनाया गया था। यह तैनाती खुद मंत्री अनिल विज के कहने पर हुई थी। विज हमेशा खेमका के समर्थक रहे और उन्हें “दुर्लभ अफसर” कह चुके हैं। विज ने उन्हें 9.9 की परफॉर्मेंस रेटिंग दी थी, जिसे मुख्यमंत्री खट्टर ने भी मंजूर किया था।
ब्यूरोक्रेसी में अफसरों से टकराव, लेकिन ईमानदारी पर नहीं पड़ी आंच
खेमका का अफसरों से टकराव कोई नई बात नहीं रही। आईएएस संजीव वर्मा से उनका विवाद सरकार तक पहुंचा। सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप भी हुए, मगर किसी ने भी खेमका की ईमानदारी पर सवाल नहीं उठाया। उनके आलोचक भी मानते हैं कि वो अपनी जिम्मेदारी से कभी पीछे नहीं हटे।
हरियाणा में ट्रांसफर का रिकॉर्ड, लेकिन कासनी अब भी सबसे आगे
भले ही खेमका के 57 तबादले चर्चा में रहे हों, लेकिन हरियाणा में सबसे ज्यादा तबादलों का रिकॉर्ड प्रदीप कासनी के नाम है। उनके 70 तबादले हुए थे। खेमका ने कभी तबादलों की शिकायत नहीं की, बल्कि हर बार खुद को नए सिरे से साबित किया।

- अशोक खेमका ने 34 साल की सेवा में 57 तबादले झेले, फिर भी ईमानदारी से काम करते रहे।
- 2012 में वाड्रा-DLF की जमीन डील रद्द कर वे देशभर में सुर्खियों में आए।
- कोलकाता में जन्मे खेमका IIT और TIFR जैसे संस्थानों से पढ़े हुए हैं।
- उन्हें रिटायरमेंट से पहले अनिल विज की सिफारिश पर ACS, परिवहन विभाग में तैनाती मिली।
- अफसरों से विवाद के बावजूद उन्हें जनता और नेताओं का सम्मान लगातार मिला।