भारत की दो प्राचीन और कालातीत रचनाएं—श्रीमद्भगवद गीता और भरत मुनि का नाट्यशास्त्र—अब यूनेस्को के ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ का हिस्सा बन गई हैं। यह सूची उन पांडुलिपियों, अभिलेखों और दस्तावेजों को शामिल करती है जो मानवता की सामूहिक स्मृति को समृद्ध करते हैं। इस घोषणा के साथ ही भारत के अब कुल 14 अभिलेख इस वैश्विक रजिस्टर में दर्ज हो चुके हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि को हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण बताते हुए शुक्रवार को एक्स पर पोस्ट किया। अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा कि, “यह फैसला हमारी शाश्वत बुद्धिमत्ता और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है। गीता और नाट्यशास्त्र ने सदियों से सभ्यता और चेतना को पोषित किया है और उनकी अंतर्दृष्टि आज भी दुनिया को प्रेरित करती है।”
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी इसे एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए कहा, “यह वैश्विक सम्मान भारत के शाश्वत ज्ञान और कलात्मक प्रतिभा का उत्सव है। ये ग्रंथ केवल साहित्यिक नहीं, बल्कि दर्शन और सौंदर्यशास्त्र के ऐसे स्तंभ हैं जिन्होंने भारत के विश्व दृष्टिकोण को आकार दिया है।”यूनेस्को ने इस बार अपने रजिस्टर में कुल 74 नई एंट्रीज को स्थान दिया है, जिससे अब ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड’ में शामिल कुल अभिलेखों की संख्या 570 हो गई है। यूनेस्को की डायरेक्टर जनरल ऑड्रे अजोले ने कहा कि, “दस्तावेजी विरासत दुनिया की सामूहिक स्मृति का एक नाजुक लेकिन अनमोल हिस्सा है। यही कारण है कि यूनेस्को इनके संरक्षण, अध्ययन और साझा करने पर बल देता है।”

- UNESCO ने श्रीमद्भगवद गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र की पांडुलिपियों को अपनी ‘Memory of the World’ रजिस्टर में शामिल किया है।
- इस घोषणा के साथ भारत के कुल 14 अभिलेख अब इस प्रतिष्ठित वैश्विक सूची का हिस्सा बन चुके हैं।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत की शाश्वत बुद्धिमत्ता और सांस्कृतिक समृद्धि की वैश्विक मान्यता बताया।
- केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इसे एक ऐतिहासिक क्षण कहते हुए भारतीय दार्शनिक और सौंदर्यशास्त्रीय परंपरा का उत्सव बताया।
- UNESCO ने इस बार 74 नई एंट्रीज जोड़ी हैं, जिससे कुल संग्रह की संख्या 570 हो गई, जिसमें भारत के दो प्राचीन ग्रंथ भी शामिल हुए।