रविवार, जून 15, 2025
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राजस्थान से रामेश्वरम तक पहली AC तीर्थ ट्रेन रवाना, 779 बुजुर्ग कर रहे यात्रा, सीएम ने दिखाई हरी झंडी

देवस्थान विभाग की वरिष्ठ नागरिक तीर्थयात्रा योजना के तहत शुक्रवार शाम जयपुर के दुर्गापुरा स्टेशन से पहली AC तीर्थ ट्रेन रामेश्वरम के लिए रवानगी हुई। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। ट्रेन में 779 यात्री सवार हुए, जिनमें 600 जयपुर और 179 सवाईमाधोपुर से हैं।

स्टेशन पर पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ सांस्कृतिक प्रस्तुतियां हुईं और यात्रियों को तुलसी की माला और पटवस्त्र पहनाकर यात्रा की शुरुआत करवाई गई। इस मौके अयोध्या के रामलला की झांकी और प्रतीकात्मक कांवड़ मॉडल भी सजाया गया।

प्रत्येक कोच में डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ

यात्रा के दौरान तीर्थयात्री रामेश्वरम के रामनाथस्वामी ज्योतिर्लिंग, धनुषकोड़ी, ब्रह्मकुंड, और मदुरै के प्रसिद्ध मीनाक्षी मंदिर के दर्शन करेंगे। यात्रा कुल आठ दिनों की होगी और ट्रेन सवाईमाधोपुर होते हुए जाएगी। प्रत्येक कोच में दो प्रशिक्षित अनुदेशक, एक डॉक्टर और दो नर्सिंग स्टाफ की व्यवस्था है। इस बार पहली बार एक मोबाइल ऐप आधारित लोकेशन शेयरिंग सिस्टम भी एक्टिव किया गया है, जिससे यात्रियों की लोकेशन परिजनों को पता चलती रहेगी।

सीएम ने कहा- बुजुर्ग हमारे घर के सदस्यों की तरह

मुख्यमंत्री ने कहा, “हम बुजुर्गों को घर का सदस्य मानते हैं और इस यात्रा में बेटा-बेटी की तरह उनके साथ रहेंगे। यह पहली बार है जब वातानुकूलित ट्रेन से ऐसी सुविधा दी गई है।”

उन्होंने यह भी बताया कि ट्रेन में ऑडियो सिस्टम लगाया गया है जिससे यात्री रास्ते में भजन सुनते हुए शांति अनुभव कर सकें। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह यात्रा ना सिर्फ श्रद्धा बढ़ाएगी बल्कि सनातन संस्कृति को समाज में और गहराई से स्थापित करेगी।

50 हजार बुजुर्गों की तीर्थयात्रा योजना

देवस्थान मंत्री जोराराम कुमावत ने बताया कि राज्य सरकार की योजना के तहत 50,000 वरिष्ठ नागरिकों को देशभर के धार्मिक स्थलों की यात्रा करवाई जाएगी। रामेश्वरम की यह यात्रा इस योजना की पहली कड़ी है। आगे अयोध्या, द्वारका, तिरुपति, उज्जैन जैसे पवित्र स्थलों के लिए भी विशेष ट्रेनें चलाई जाएंगी।

थीम-बेस्ड कोच में दिखा राजस्थान

इस 14 कोचों वाली ट्रेन के 10 पैसेंजर कोचों को राजस्थान की सांस्कृतिक विविधता के थीम पर सजाया गया है। मंदिर, दुर्ग, नृत्य, वाद्ययंत्र, उत्सव और पुरातन विरासत के चित्रों से कोच सजे हैं। एक विशेष कोच राजस्थान के सैन्य योगदान को समर्पित है जिसमें जैसलमेर वॉर म्यूज़ियम, तनोट बॉर्डर और महाजन फायरिंग रेंज से जुड़े विजुअल्स यात्रियों को गौरव की अनुभूति कराते हैं।

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