रविवार, जून 15, 2025
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गुर्जर महापंचायत: बैंसला के फैसले पर टिका पूरा समाज, भरतपुर जिले के पीलूपुरा में भीड़ जमा

राजस्थान के भरतपुर जिले के पीलूपुरा गांव में आज सुबह से ही गुर्जर समाज की महापंचायत के लिए हजारों लोग जुटने लगे हैं। आरक्षण की पुरानी मांग को लेकर यह सभा खास मायने रखती है क्योंकि पिछले कई महीनों से जारी गतिरोध के बाद यह गुर्जर समाज का एक बड़ा अल्टीमेटम माना जा रहा है। लोग दूर-दूर से निजी वाहन और बसों में आ रहे हैं, महापंचायत के स्थल पर गजब का जनसमूह बन चुका है।

विजय बैंसला का नेतृत्व और सरकार पर कड़ा आरोप

बीजेपी के नेता और गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला इस महापंचायत के मुखिया हैं। उन्होंने सरकार की नीति को लगातार निराशाजनक बताया है। बैंसला का आरोप है कि केंद्र और राज्य सरकारें पिछले समझौतों को ठेंगा दिखा रही हैं और मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही हैं। खासकर मुकदमों की वापसी और केंद्र सरकार से जुड़े मुद्दों पर राज्य सरकार की निष्क्रियता को लेकर उन्होंने तीखी नाराजगी जताई है। यही वजह है कि गुर्जर समाज में भारी आक्रोश साफ नजर आ रहा है।

2008 के आंदोलन की यादें ताजा

पीलूपुरा क्षेत्र का गुर्जर आरक्षण आंदोलन में खास महत्व रहा है। साल 2008 में जब यह आंदोलन अपने चरम पर था, तब भी यही जगह बैंसला के नेतृत्व में सबसे सक्रिय केंद्र बनी थी। उस दौरान आंदोलन में हुई पुलिस फायरिंग में 72 लोगों की मौत ने पूरे देश का ध्यान इस मांग पर खींचा था। तब से अब तक इस इलाके को गुर्जर संघर्ष का गढ़ माना जाता रहा है। 2008 के बाद भी 2010, 2015 और 2019 में आसपास के क्षेत्रों पाटोली, मलारना डूंगर, और खुशाली दर्रा में भी बड़े आंदोलन हुए।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम, रूट डायवर्जन

पीलूपुरा में गुर्जर महापंचायत को लेकर पुलिस प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है। भीड़ नियंत्रण और ट्रैफिक व्यवस्था के लिए कई रास्तों को डायवर्ट किया गया है। खासकर बयाना से हिंडौन मार्ग को गणेश मोड़ से कलसाड़ा होते हुए महुआ और करौली की तरफ मोड़ा गया है। सुरक्षा के लिए RAC की छह कंपनियां तैनात हैं ताकि किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके और माहौल शांतिपूर्ण बना रहे।

12 बजे पहुंचेंगे विजय बैंसला

महापंचायत स्थल पर अब लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। संयोजक विजय बैंसला दोपहर 12 बजे के करीब सभा स्थल पर पहुंचेंगे। उनके आगमन के बाद आंदोलन की दिशा तय होने की उम्मीद है। गुर्जर समाज की निगाहें इसी महापंचायत के फैसले पर टिकी हैं, जो आगामी राजनैतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।

इस महापंचायत के बाद ही साफ हो पाएगा कि गुर्जर समाज की मांगों को लेकर सरकार क्या नई रणनीति अपनाएगी और आरक्षण की लंबित कवायद को किस दिशा में आगे बढ़ाया जाएगा। प्रशासन पूरी चौकसी के साथ महापंचायत को शांतिपूर्ण संपन्न कराने में जुटा हुआ है।

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