Tuesday, April 29, 2025
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हरियाणा में अब स्कूलों की किताबों पर चलेगा बोर्ड का डंडा, प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबें पढ़ाने वालों की होगी जांच

हरियाणा में अब शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए बोर्ड एक्शन मोड में आ गया है। खासतौर पर उन निजी स्कूलों को लेकर, जो एनसीईआरटी की बजाय बच्चों पर महंगी और भारी किताबें थोप रहे हैं। बोर्ड अध्यक्ष पवन कुमार ने साफ कहा है कि अब ऐसे स्कूलों की जांच की जाएगी और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई तय है।

बच्चों पर बढ़ते बोझ से सरकार चिंतित

पवन कुमार ने बताया कि शिक्षा विभाग कक्षा आठवीं तक के छात्रों को एनसीईआरटी की किताबें मुफ्त में उपलब्ध कराता है। इसके बावजूद कई निजी स्कूल प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबें खरीदने का दबाव बनाते हैं, जिससे न सिर्फ पढ़ाई महंगी होती है, बल्कि बच्चों का स्कूल बैग भी भारी हो जाता है। यही वजह है कि अब बोर्ड इस पर सख्ती से निगरानी रखेगा।

मई में शुरू होगी जांच

हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने फैसला लिया है कि मई महीने में एक विशेष टीम बनाई जाएगी, जो राज्य के निजी स्कूलों में जाकर किताबों की जांच करेगी। ये टीम देखेगी कि स्कूल एनसीईआरटी की किताबें इस्तेमाल कर रहे हैं या नहीं। अगर आदेशों का उल्लंघन पाया गया, तो बोर्ड उस स्कूल पर कार्रवाई करेगा।

आदेश तोड़े तो रद्द होगी मान्यता

बोर्ड की तरफ से यह भी कहा गया है कि जिन स्कूलों में नियमों की अनदेखी मिलेगी, उन पर जुर्माना लगाया जाएगा और ज़रूरत पड़ी तो उनकी मान्यता भी रद्द की जा सकती है। इससे पहले भी कई बार सरकार ने स्कूलों को एनसीईआरटी की किताबें अपनाने के निर्देश दिए थे, लेकिन अब इसे गंभीरता से लागू किया जाएगा।

अभिभावकों को मिलेगी राहत

इस फैसले के बाद हजारों अभिभावकों को राहत मिलेगी, जो हर साल बच्चों की महंगी किताबें खरीदने के लिए मजबूर होते हैं। एनसीईआरटी की किताबें न सिर्फ सस्ती हैं, बल्कि बोर्ड द्वारा मुफ़्त भी दी जाती हैं। इससे शिक्षा सस्ती और समान हो सकेगी।

 Nationalbreaking.com । नेशनल ब्रेकिंग - सबसे सटीक

  1. हरियाणा बोर्ड ने निजी स्कूलों की किताबों की जांच के लिए टीम बनाने का ऐलान किया है।
  2. मई महीने में स्कूलों का दौरा कर टीम किताबों की जांच करेगी।
  3. एनसीईआरटी की जगह प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबें मिलने पर जुर्माना लगेगा।
  4. जरूरत पड़ी तो दोषी स्कूल की मान्यता रद्द की जा सकती है।
  5. इस फैसले से अभिभावकों को महंगी किताबों के बोझ से राहत मिलने की उम्मीद है।
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