भारत के इतिहास में 26 मई एक ऐसा दिन है, जिसने देश की वैज्ञानिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक धारा को नई दिशा दी। इस दिन की घटनाएं न केवल राष्ट्रीय पहचान को मजबूत करती हैं, बल्कि भारत के वैश्विक प्रभाव को भी रेखांकित करती हैं।
क्रिकेट के इतिहास में भी 26 मई 1999 को एक यादगार दिन रहा, जब सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ ने श्रीलंका के खिलाफ 318 रन की साझेदारी कर विश्व रिकॉर्ड बनाया। यह साझेदारी आज भी क्रिकेट प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
इन घटनाओं के माध्यम से 26 मई भारतीय इतिहास में एक निर्णायक दिन के रूप में स्थापित होता है, जिसने देश की दिशा और दशा दोनों को प्रभावित किया।
प्रमुख घटनाएं
- 1999: ISRO ने PSLV-C2 के माध्यम से तीन उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया, जो भारत का पहला वाणिज्यिक उपग्रह प्रक्षेपण था।
- 2014: नरेंद्र मोदी ने भारत के 15वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली, जिससे देश में एक नए राजनीतिक युग की शुरुआत हुई।
- 1999: सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ ने श्रीलंका के खिलाफ 318 रन की साझेदारी कर विश्व रिकॉर्ड बनाया।
- 2007: भारत और जर्मनी के बीच रक्षा सहयोग समझौता हुआ, जिससे दोनों देशों के सैन्य संबंध मजबूत हुए।
जन्मदिन
- विलासराव देशमुख (1945): महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री, जिन्होंने राज्य और केंद्र दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- दिलीप जोशी (1968): लोकप्रिय टेलीविजन अभिनेता, जो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में ‘जेठालाल’ की भूमिका के लिए प्रसिद्ध हैं।
- राम गणेश गडकरी (1885): प्रसिद्ध मराठी नाटककार और कवि, जिन्हें ‘गोविंदाग्रज’ के नाम से भी जाना जाता है।
आज हमने इन्हें खो दिया-
- के. पी. एस. गिल (निधन: 2017): पंजाब के दो बार पुलिस महानिदेशक (DGP) रहे के. पी. एस. गिल को भारत में आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए जाना जाता है। 1980 और 1990 के दशक में पंजाब में उग्रवाद पर निर्णायक नियंत्रण लाने में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। उन्हें ‘सुपरकॉप’ की उपाधि भी दी गई थी। देश की आंतरिक सुरक्षा प्रणाली में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा।
श्रीकांत वर्मा (निधन: 1986): हिन्दी साहित्य की दुनिया में गीतकार, कथाकार और आलोचक के रूप में पहचान बनाने वाले श्रीकांत वर्मा एक संवेदनशील कवि और सशक्त विचारक थे। साथ ही वे भारतीय राजनीति में भी सक्रिय थे और राज्यसभा के सदस्य रहे। उनकी लेखनी में समकालीन सामाजिक, राजनीतिक और दार्शनिक विषयों की गहराई दिखाई देती है।
चम्पक रमन पिल्लई (निधन: 1934): भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी क्रांतिकारी धारा के एक प्रमुख चेहरे रहे चम्पक रमन पिल्लई ने विदेशों में भारत की आज़ादी के लिए आंदोलन खड़ा किया। वे ‘इंडियन इंडिपेंडेंस कमिटी’ के संस्थापकों में से एक थे और जर्मनी में रहकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ सक्रिय प्रचार करते रहे। उनके क्रांतिकारी विचार और निस्वार्थ योगदान आज भी प्रेरणास्रोत हैं।