होलाष्टक का समय होली से ठीक आठ दिन पहले होता है, जब सभी शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है और इसे अशुभ माना जाता है। यह समय 2025 में 7 मार्च से लेकर 13 मार्च तक रहेगा। यह एक विशेष समय होता है, जब शुभ कार्यों से परहेज किया जाता है।
नई दिल्ली. होलाष्टक का समय होली से ठीक आठ दिन पहले होता है, जब सभी शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है और इसे अशुभ माना जाता है। यह समय 2025 में 7 मार्च से लेकर 13 मार्च तक रहेगा। इस दौरान वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है, और इसे पौराणिक कथाओं में भी नकारात्मक घटनाओं से जोड़ा गया है। तो जानिए इस समय में क्या करें और क्या न करें, ताकि आप इस अवधि को सही तरीके से पार कर सकें।
होलाष्टक क्या है?
होलाष्टक शब्द “होली” और “अष्टक” से बना है, जिसमें “अष्टक” का मतलब है आठ दिन की अवधि। यह समय फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक रहता है। यह एक विशेष समय होता है, जब शुभ कार्यों से परहेज किया जाता है।
क्यों माना जाता है अशुभ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, होलाष्टक के दौरान हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति से विमुख करने के लिए कठोर यातनाएं दी थीं। इस समय में ग्रहों का उग्र रूप भी नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव को बढ़ा देता है। इन ग्रहों में चंद्रमा, सूर्य, शनि, शुक्र, गुरु, बुध, मंगल और राहु शामिल होते हैं।
होलाष्टक में क्या न करें:
विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, सगाई जैसे मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। नए व्यापार या निर्माण कार्य की शुरुआत भी नहीं करनी चाहिए। यह समय भगवान विष्णु और भगवान नृसिंह की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है।
क्या करें
- इस समय ध्यान, योग और मंत्र जाप से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाएं।
- गरीबों की मदद करें और भगवान नृसिंह की पूजा करें।
- भले ही होलाष्टक को अशुभ माना जाता है, यह एक आध्यात्मिक अवसर है, जो हमें नकारात्मकता को दूर करने और आंतरिक शक्ति को पहचानने का मौका देता है।