रविवार, जून 15, 2025
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पाकिस्तान को IMF से लोन पास, दो किस्तों में मिलेंगे 2.3 अरब डॉलर, दूसरी किस्त 28 महीने बाद

पाकिस्तान की डगमगाती अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने एक बड़ा कदम उठाया है। IMF ने पाकिस्तान को कुल 2.3 अरब डॉलर, यानी करीब ₹20 हजार करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज देने की मंजूरी दी है। यह सहायता दो हिस्सों में दी जाएगी — 1 अरब डॉलर की रकम एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFA) के तहत तुरंत जारी की जाएगी, जबकि 1.3 अरब डॉलर अगले 28 महीनों तक किस्तों में मिलेंगे।

पाकिस्तान को यह पैकेज ऐसे समय में मिला है जब देश गहराते आर्थिक संकट के साथ-साथ भारत के साथ बढ़ते तनाव के दौर से गुजर रहा है। यह आर्थिक राहत पाकिस्तान को अपने वित्तीय घाटों और अंतरराष्ट्रीय देनदारियों से जूझने में मदद करेगी।

IMF में कोटे से तय होता है वोटिंग का वज़न

IMF में कुल 191 सदस्य देश हैं, लेकिन हर देश की आवाज़ उसकी वोटिंग पावर पर निर्भर करती है। वोटिंग का अधिकार कोटे पर आधारित होता है, जो देश की GDP, विदेशी मुद्रा भंडार, व्यापारिक स्थिति और आर्थिक स्थिरता जैसे कारकों से तय होता है।

उदाहरण के तौर पर, अमेरिका का कोटा सबसे अधिक 16.5% है, जिससे उसका वोट सबसे प्रभावशाली बनता है। वहीं भारत की वोटिंग पावर लगभग 2.75% और पाकिस्तान की मात्र 0.43% है। यानी IMF में पाकिस्तान की आवाज़ बहुत सीमित है।

बेसिक और कोटा आधारित वोट मिलाकर बनती है कुल वोटिंग पावर

IMF में वोट दो प्रकार के होते हैं:

  • बेसिक वोट्स: सभी सदस्य देशों को समान रूप से 250 वोट दिए जाते हैं।
  • कोटा आधारित वोट्स: हर देश को उसके कोटे के अनुपात में अतिरिक्त वोट मिलते हैं। इसके लिए उस देश को IMF की खास करेंसी SDR (Special Drawing Rights) में निवेश करना होता है।

IMF की निर्णय प्रक्रिया में इन दोनों तरह के वोट मिलाकर ही किसी देश की कुल वोटिंग ताकत तय होती है।

क्या है SDR, जिसे IMF की ‘ग्लोबल करेंसी’ कहा जाता है?

SDR यानी Special Drawing Rights को IMF द्वारा बनाया गया एक अंतरराष्ट्रीय रिजर्व एसेट माना जाता है। यह असल में कोई भौतिक मुद्रा नहीं है, बल्कि IMF के बीच वित्तीय लेनदेन में इस्तेमाल होने वाली एक यूनिट है। इसे ग्लोबल करेंसी यूनिट भी कहा जाता है। SDR के जरिए सदस्य देश IMF से लोन या वित्तीय सुविधा प्राप्त कर सकते हैं। 1 लाख SDR पर 1 वोट का प्रावधान है, जिससे देशों की वोटिंग पावर जुड़ी होती है।

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