जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दर्दनाक आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार रात सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की हाईलेवल मीटिंग हुई, जिसमें पांच बड़े फैसले लिए गए। इनमें सबसे अहम फैसला सिंधु जल समझौते को रोकने का है। इसके अलावा भारत ने पाकिस्तानियों के वीजा तत्काल रद्द करते हुए 48 घंटे में देश छोड़ने का अल्टीमेटम भी जारी किया है।
पाकिस्तानी दूतावास भी बंद
सरकार ने भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में दूतावास बंद करने का आदेश भी दे दिया है। पाकिस्तानी राजनयिकों को 7 दिन के भीतर भारत छोड़ने को कहा गया है। यही नहीं, अब किसी भी पाकिस्तानी नागरिक को भारत का वीजा जारी नहीं किया जाएगा, जब तक अगला आदेश ना आए।
वहीं, अटारी-वाघा बॉर्डर से नागरिक आवाजाही पूरी तरह बंद कर दी गई है। ये फैसले साफ संकेत हैं कि भारत अब आतंक के जवाब में राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर पूरी तरह सख्त हो चुका है।
बैठक में मौजूद रहे रक्षा, गृह और विदेश मंत्री समेत टॉप इंटेलिजेंस अधिकारी
प्रधानमंत्री आवास पर ढाई घंटे तक चली CCS बैठक में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल समेत कई प्रमुख अधिकारी शामिल रहे। सूत्रों के मुताबिक, ये फैसला सर्वसम्मति से लिया गया और इसके लिए सभी मंत्रालयों को अलर्ट पर रखा गया है।
हमले में हुई हैं 27 मौतें
हमले में 27 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है जबकि 20 से ज्यादा घायल हुए हैं। यह हमला उस समय हुआ, जब बैसरन घाटी में बड़ी संख्या में पर्यटक घूम रहे थे। उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडिशा के लोग मारे गए हैं। इसके अलावा नेपाल और UAE के दो नागरिकों की मौत और दो स्थानीय लोगों के मारे जाने की खबर भी है।
हमले का मास्टरमाइंड पाकिस्तान में
सुरक्षा एजेंसियों और इंटेलिजेंस सूत्रों ने हमले के पीछे लश्कर-ए तैयबा का हाथ बताया है। हमले के तीन संदिग्धों—आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबु तल्हा—के स्केच जारी किए गए हैं। बताया जा रहा है कि मास्टरमाइंड सैफुल्लाह खालिद, लश्कर का डिप्टी चीफ है जो फिलहाल पाकिस्तान में छिपा बैठा है। शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि 5 आतंकी हमले में शामिल थे, जिनमें दो स्थानीय और तीन पाकिस्तानी बताए जा रहे हैं।