भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा शुक्रवार को जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, 18 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 8.31 बिलियन डॉलर की बढ़त के साथ 686.145 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है। यह लगातार सातवां सप्ताह है जब देश का फॉरेक्स रिजर्व बढ़ा है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की बाहरी स्थिरता को दर्शाता है। पिछले सप्ताह 11 अप्रैल तक यह भंडार 1.567 बिलियन डॉलर बढ़कर 677.835 बिलियन डॉलर हो गया था।
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में 3.5 अरब डॉलर की बढ़ोतरी
RBI के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (Foreign Currency Assets – FCA) 3.516 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी के साथ 578.495 बिलियन डॉलर पर पहुंच गई हैं। FCA में अमेरिकी डॉलर के अलावा यूरो, जापानी येन और ब्रिटिश पाउंड जैसी विदेशी मुद्राओं में भी निवेश होता है, जिनकी कीमतों में उतार-चढ़ाव का सीधा असर रिजर्व पर पड़ता है।
गोल्ड रिजर्व में रिकॉर्ड इजाफा, कुल भंडार 84.57 अरब डॉलर तक पहुंचा
इस सप्ताह देश के गोल्ड रिजर्व में भी 4.575 बिलियन डॉलर की बड़ी बढ़ोतरी देखी गई, जिससे यह आंकड़ा बढ़कर 84.572 बिलियन डॉलर हो गया है। यह संकेत देता है कि केंद्रीय बैंक ने अपने सोने के भंडार में भी मजबूती के साथ निवेश बनाए रखा है, जो अस्थिर वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों में एक सुरक्षित संपत्ति के रूप में काम करता है।
एसडीआर और आईएमएफ में भारत की स्थिति में भी हुआ सुधार
विशेष आहरण अधिकार (SDR) में 212 मिलियन डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे इसका कुल आंकड़ा 18.568 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया। वहीं, आईएमएफ (IMF) में भारत की आरक्षित स्थिति 7 मिलियन डॉलर बढ़कर 4.51 बिलियन डॉलर हो गई है। ये दोनों घटक भारत की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय साख को दर्शाते हैं।
फॉरेक्स रिजर्व क्यों है अहम आर्थिक सूचक?
विदेशी मुद्रा भंडार किसी देश की आर्थिक सुरक्षा की पहली पंक्ति होता है। यह न सिर्फ आयात भुगतान और विदेशी कर्ज चुकाने में मदद करता है, बल्कि रुपए की स्थिरता बनाए रखने और विदेशी निवेशकों को भरोसा देने में भी अहम भूमिका निभाता है। उच्च फॉरेक्स रिजर्व भारत को वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के दौरान बेहतर स्थिति में खड़ा करता है।