शनिवार, जून 14, 2025
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ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि आज सवेरे 11 बजे, भगवान सत्यनारायण की पूजा करते हैं तो कल रखें व्रत

पूर्णिमा तिथियों का सनातन धर्म में विशेष स्थान है। प्रत्येक पूर्णिमा का अपनी-अपनी धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताएं हैं, जिनमें से ज्येष्ठ पूर्णिमा को विशेष रूप से माना जाता है। यह दिन पूजा-पाठ, व्रत, स्नान, और दान के लिए उपयुक्त माना जाता है। विशेष रूप से इस दिन भगवान शंकर, लक्ष्मी नारायण और चंद्रमा की पूजा की जाती है, जिससे व्यक्ति को न केवल पितरों का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और आर्थिक उन्नति भी होती है।

हर साल की तरह इस वर्ष भी ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 को विशेष धार्मिक आयोजन होंगे, लेकिन इस बार तिथि को लेकर कुछ असमंजस की स्थिति उत्पन्न हुई है। लोगों के बीच सवाल है कि यह पर्व 10 जून को मनाया जाएगा या 11 जून को। इसे लेकर धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी चर्चा हो रही है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 की तिथि और पूजा मुहूर्त

इस बार ज्येष्ठ पूर्णिमा 10 जून और 11 जून के बीच किसी एक दिन निर्धारित की जाएगी। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा 11 जून को होने वाली है, लेकिन इस दिन पूर्णिमा तिथि केवल दोपहर तक ही रहेगी। चंद्रमा पूजन के लिए चंद्रोदय का समय 6:45 बजे शाम को होगा, इसलिए जो लोग चंद्रमा पूजन करते हैं, उन्हें 10 जून को ही व्रत रखना होगा।

अगर आप वट पूर्णिमा का व्रत रखते हैं, या सत्यनारायण पूजा करते हैं, तो आपको 11 जून को पूर्णिमा व्रत करना चाहिए। यह दिन विशेष रूप से स्नान, दान, व्रत, और पूजा के लिए शुभ रहेगा।

स्नान-दान और पूजा के शुभ मुहूर्त

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान और दान के लिए ब्रह्म मुहूर्त का समय शुभ माना जाता है। यह समय सुबह 4:02 बजे से लेकर 4:42 बजे तक रहेगा। इस समय में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। सत्यनारायण पूजा और वट पूर्णिमा पूजा का शुभ समय सुबह 8:52 बजे से दोपहर 2:05 बजे तक रहेगा।

इस दिन विशेष रूप से रवि और सिद्धि योग का संयोग बन रहा है, जो किसी भी शुभ कार्य के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। यदि आप विवाह, व्यापार की शुरुआत, सोना-चांदी, या वाहन की खरीदारी करना चाहते हैं, तो यह समय आपके लिए श्रेष्ठ रहेगा।

स्नान और दान के विशेष महत्व

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन, स्नान के पानी में गंगाजल या किसी भी पवित्र नदी के जल का मिश्रण करना चाहिए। इस दिन आम और सुहाग सामग्री का दान करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि इससे ग्रह दोष दूर होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025: तिथि, पूजा और व्रत के महत्व को समझें

  1. तिथि पर असमंजस – ज्येष्ठ पूर्णिमा 10 जून या 11 जून को मनाई जाएगी, जो चंद्रमा पूजन के समय पर निर्भर करता है।
  2. पारंपरिक पूजा विधि – इस दिन भगवान शंकर, लक्ष्मी नारायण और चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है।
  3. स्नान और दान का मुहूर्त – ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और दान का महत्व बढ़ जाता है।
  4. सिद्धि योग और शुभ मुहूर्त – रवि और सिद्धि योग में नए कार्य शुरू करना शुभ रहेगा।
  5. दान के विशेष लाभ – आम और सुहाग सामग्री का दान ग्रह दोषों को समाप्त करता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
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