हरियाणा के नूंह में रविवार को तब्लीगी जमात के जलसे में हजारों की भीड़ के बीच मौलाना साद ने कहा कि इस्लाम कभी भी देश के खिलाफ जाने की इजाजत नहीं देता। उन्होंने मंच से साफ किया कि जो भी सच्चा मोमिन है, वो ऐसा कोई काम नहीं करेगा जिससे किसी की भावनाएं आहत हों या जो देश के कानून के खिलाफ हो। साद ने कहा, “हम भारत में रहते हैं और यहां का कानून हमें मानना है। यहां की व्यवस्था को अपनाना ही हमारी जिम्मेदारी है।”
इस्लाम किताबों से निकलकर जिंदगी में उतरना चाहिए
मौलाना साद ने जलसे में मौजूद लोगों से कहा कि इस्लाम को सिर्फ जानने से कुछ नहीं होगा, जब तक उस पर अमल न किया जाए। उन्होंने कहा कि अगर हर मुसलमान जकात देने लगे तो दुनिया से गरीबी मिट सकती है। अगर हर आलिम, सचमुच का आलिम बन जाए तो जहालत खत्म हो सकती है। साद ने कहा कि इस वक्त इस्लाम किताबों में बंद है, उसे बाहर लाना होगा, उसे अपने रोज़मर्रा के जीवन में अपनाना होगा। मुसलमान की असल पहचान उसके किरदार से होनी चाहिए, नबी के बताए तरीके ही असल इस्लाम का रास्ता हैं।
नमाज और औरतों की इस्लामी शिक्षा पर ज़ोर
मौलाना साद ने पांच वक्त की नमाज को इस्लामी जीवन का अहम हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि जो मोमिन जानबूझकर नमाज छोड़ता है, उसे बहुत बड़ा सज़ा भुगतनी पड़ सकती है। बीमार व्यक्ति को भी बैठकर नमाज अदा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नमाज को हल्के में लेना गुनाह है। साद ने यह भी कहा कि घर की बेटियों और औरतों को इस्लामी तालीम देना जरूरी है ताकि वो भी सही रास्ते पर चल सकें। उन्होंने मस्जिदों में बच्चों को ले जाने की अपील की और कहा कि घर के माहौल में दीन का असर नजर आना चाहिए।
इमाम की सड़क हादसे में मौत, घर लौटते वक्त हुआ हादसा
इस जलसे के बीच एक दर्दनाक हादसे की खबर आई। एक इमाम, जो जलसे में शामिल थे, उन्हें अचानक पत्नी की डिलीवरी की सूचना मिली। वे फौरन बाइक से घर के लिए रवाना हुए लेकिन रास्ते में घाटा बसई गांव के पास उनकी बाइक को एक डंपर ने टक्कर मार दी। हादसे में उनकी मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना से पूरे जलसे में मायूसी छा गई। इमाम का इस तरह अचानक चला जाना इलाके के लिए गहरा झटका है।
नूंह से निकली थी तब्लीगी जमात की जड़ें
तब्लीगी जमात की शुरुआत भी नूंह से ही मानी जाती है। 1926-27 में मौलाना इलियास कांधलवी ने यहीं से इस्लामी प्रचार की नींव रखी थी। मदरसा मोइनुल इस्लाम, नूंह का एक प्रमुख मुस्लिम शिक्षण संस्थान है और तब्लीगी जमात का सबसे पुराना केंद्र भी। यही से जमात की शिक्षा भारत समेत 150 से ज्यादा देशों तक फैली। हर शुक्रवार यहां हजारों लोग नमाज अदा करने आते हैं। जलसे के मीडिया कॉर्डिनेटर रफीक मास्टर ने बताया कि हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों को ‘मेवात’ कहा जाता है, और इन्हीं इलाकों में तब्लीगी जमात नियमित जलसे करती है। इस बार नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका को चुना गया जहां से अलवर, कामां और सोहना तीनों लगभग 60 किलोमीटर दूर हैं।

- मौलाना साद ने कहा कि भारत का कानून हर मुसलमान को मानना चाहिए
- इस्लाम देश से बगावत की इजाजत नहीं देता, सच्चा मोमिन समाज का भला चाहता है
- नमाज, जकात और महिलाओं की इस्लामी तालीम पर ज़ोर दिया
- जलसे से घर लौट रहे इमाम की सड़क हादसे में मौत हो गई
- नूंह तब्लीगी जमात की जड़ है, यहीं से इस्लामी शिक्षा की शुरुआत मानी जाती है