रविवार, जून 15, 2025
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प्रधानमंत्री मोदी तीन देशों की यात्रा पर रवाना, सबसे पहले साइप्रस जाएंगे, कनाडा में G7 सम्मेलन में होंगे शामिल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार देशों और तीन महाद्वीपों में फैली चार दिन की रणनीतिक विदेश यात्रा पर रविवार को रवाना हो गए। इस यात्रा की शुरुआत 15 जून को साइप्रस से होगी, जहां वे दो दिन बिताएंगे। फिर 16-17 जून को कनाडा में G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, और 18 जून को क्रोएशिया में द्विपक्षीय संवाद के बाद 19 जून को स्वदेश लौटेंगे।

साइप्रस यात्रा के कई संकेत

मोदी स्वतंत्र भारत के इतिहास में साइप्रस का दौरा करने वाले सिर्फ तीसरे प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले इंदिरा गांधी (1983) और अटल बिहारी वाजपेयी (2002) इस द्वीपीय राष्ट्र की यात्रा कर चुके हैं।
राजनीतिक दृष्टि से यह दौरा कई संकेत देता है। खासतौर पर तुर्किये और पाकिस्तान के साझा गठबंधन को एक कूटनीतिक जवाब के रूप में देखा जा रहा है।

साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडोलाइड्स से मुलाकात, लिमासोल में व्यापारिक नेताओं को संबोधन, और भारतीय समुदाय के साथ संवाद इस यात्रा का हिस्सा होंगे।

चीन और तुर्किये को सधा हुआ जवाब

मोदी का साइप्रस दौरा केवल द्विपक्षीय संबंधों का विस्तार नहीं बल्कि भारत के रणनीतिक मित्रवृत्त का पुनर्निर्माण भी है। भारत-मध्य पूर्व-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) में साइप्रस की भागीदारी चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के विकल्प के रूप में देखी जा रही है।
इसके अलावा तुर्किये द्वारा साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर अवैध कब्जे और पाकिस्तान के साथ उसकी नज़दीकियों के बीच यह दौरा महत्वपूर्ण बनता है। हाल ही में पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे पर ‘नॉर्थ साइप्रस’ का जिक्र किया था, जिससे साइप्रस भड़का हुआ है।

अतीत की साझेदारी, भविष्य की संभावनाएं

2006 के ‘ऑपरेशन सुकून’ और 2011 के ‘सेफ होमकमिंग’ में साइप्रस ने भारतीयों को संकट से बाहर निकालने में बड़ी भूमिका निभाई थी। इस सहयोग की स्मृति अब दोनों देशों को नई मजबूती दे रही है।
साथ ही, साइप्रस 2026 में यूरोपीय यूनियन काउंसिल की अध्यक्षता करेगा, जहां भारत को कश्मीर और आतंकी नेटवर्क के खिलाफ समर्थन मिलने की उम्मीद है।

UN, NSG में भारत का समर्थन

साइप्रस ने UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता, NSG और IAEA में भारत के प्रवेश को लगातार समर्थन दिया है। वहीं, भारत ने भी हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर साइप्रस की संप्रभुता और पुनर्मिलन की मांग का साथ दिया है।
इतिहास भी इस रिश्ते का गवाह रहा है—जनरल केएस थिम्मैया जैसे भारतीय अधिकारी UN शांति मिशन में साइप्रस में सेवा दे चुके हैं, और आज भी उन्हें वहां बड़े सम्मान से याद किया जाता है।

कनाडा में G7 समिट, वैश्विक मंच पर भारत

16-17 जून को पीएम मोदी कनाडा के कनानास्किस में होने वाले G7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह मोदी की लगातार छठी G7 भागीदारी होगी।
दिलचस्प बात यह है कि भारत को सम्मेलन में शामिल होने का न्योता अंतिम क्षणों में—शुरू होने से ठीक आठ दिन पहले मिला।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह अटकलें लगाई गई थीं कि भारत को आमंत्रण नहीं मिलेगा, लेकिन कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने 7 जून को व्यक्तिगत रूप से कॉल कर मोदी को न्योता दिया, जिससे संबंधों की संवेदनशीलता भी उजागर हुई।

क्रोएशिया में सहयोग का नया अध्याय

इस यात्रा का अंतिम चरण क्रोएशिया होगा, जहां पीएम मोदी 18 जून को रुकेंगे। भारत-क्रोएशिया के बीच द्विपक्षीय संबंधों में हाल के वर्षों में तेजी आई है, खासकर फार्मा, टेक्नोलॉजी और रक्षा क्षेत्र में। यह यात्रा इन संबंधों को और ठोस बुनियाद दे सकती है।

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