सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को मुर्शिदाबाद हिंसा और राष्ट्रपति शासन की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने साफ कह दिया कि वो इस मुद्दे पर कोई आदेश नहीं देगा। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने याचिकाकर्ता से सीधा सवाल पूछा—”क्या आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को आदेश दें?” कोर्ट ने कहा कि ये हमारे अधिकार क्षेत्र से बाहर है और इस तरह का फैसला संसद और सरकार का होता है, न कि अदालत का।
न्यायपालिका की भूमिका पर उठे सवाल
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। दुबे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाएं पार कर रहा है, वहीं उपराष्ट्रपति ने साफ शब्दों में कहा कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं। दोनों नेताओं ने न्यायपालिका के बढ़ते दखल पर चिंता जताई।
मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर दूसरी याचिका में कोर्ट ने सबूत मांगे
सुप्रीम कोर्ट में एक दूसरी याचिका भी चल रही है, जिसमें वकील ने दावा किया कि हिंसा के बाद लोग पलायन कर रहे हैं। इस पर अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए पूछा कि क्या उन्होंने खुद जांच की है? जब वकील ने कहा कि ये सब मीडिया रिपोर्ट पर आधारित है, तो कोर्ट ने इस आधार को कमजोर माना और कहा कि इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
हाईकोर्ट ने भी रखा था आदेश सुरक्षित
इससे पहले कलकत्ता हाईकोर्ट ने मुर्शिदाबाद में केंद्रीय बलों की तैनाती को लेकर 17 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने याचिका लगाई थी कि विस्थापित लोगों को उनके घर लौटाने के लिए सरकार को सख्त निर्देश दिए जाएं। कोर्ट ने एक पैनल भेजने का सुझाव भी दिया जिसमें मानवाधिकार आयोग और विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रतिनिधि हों।
महिला आयोग की टीम ने किया दौरा, विरोध तेज
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर रविवार को मुर्शिदाबाद पहुंचीं और हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। आयोग ने केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपने की तैयारी की है। उधर, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ‘वक्फ बचाव अभियान’ चला रहा है जो 87 दिन चलेगा और इसके तहत 1 करोड़ हस्ताक्षर प्रधानमंत्री को भेजे जाएंगे।
वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वक्फ कानून के खिलाफ दर्ज 70 से ज्यादा याचिकाओं की जगह अब सिर्फ 5 मुख्य याचिकाओं पर ही सुनवाई होगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए 7 दिन का समय दिया है। साथ ही कहा गया है कि वक्फ घोषित संपत्तियों पर फिलहाल यथास्थिति बनी रहेगी। अगली सुनवाई 5 मई को दोपहर 2 बजे तय की गई है।

- सुप्रीम कोर्ट ने मुर्शिदाबाद हिंसा पर राष्ट्रपति शासन की मांग वाली याचिका खारिज की।
- अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या राष्ट्रपति को आदेश देना अदालत का काम है?
- भाजपा और उपराष्ट्रपति ने भी न्यायपालिका के दखल पर सवाल उठाए।
- हिंसा में पलायन के दावे पर सुप्रीम कोर्ट ने पुख्ता सबूत मांगे, मीडिया रिपोर्ट को नकारा।
- हाईकोर्ट और महिला आयोग ने भी घटनास्थल का संज्ञान लिया, विरोध और जांच तेज हुई।