हरियाणा के नूंह में तब्लीगी जमात के जलसे का आखिरी दिन सबसे भारी रहा। सोमवार को यहां करीब 10 लाख लोग शामिल हुए। 21 एकड़ में लगाए गए टेंट में जगह कम पड़ गई, जिस वजह से हजारों लोगों ने पार्किंग एरिया और खुले मैदानों में ही नमाज अदा की। जलसे का समापन खुद तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद ने किया और दुआ के साथ लोगों को रवाना किया गया।
फिलिस्तीन के समर्थन में उठे सुर, इजराइली बायकॉट के पोस्टर भी
पंडाल के मुख्य गेट और आसपास ‘सेव गाजा’ और ‘इजराइल प्रोडक्ट्स का बायकॉट करो’ जैसे बैनर लहराते दिखे। कई लोगों ने हाथों में तख्तियां पकड़ रखी थीं जिन पर लिखा था – “अगर हम जिहाद के लिए नहीं जा सकते, तो कम से कम फिलिस्तीन को दुआ में याद रखें।” इस दौरान इजराइल के खिलाफ नाराज़गी साफ दिखी और फिलिस्तीनी समर्थन का माहौल गर्म रहा।
मौलाना साद ने दिए चार अहम पैग़ाम
दूसरे दिन मौलाना साद ने तकरीर में समाज और मज़हब से जुड़ी बातें साझा कीं। उन्होंने कहा कि सच्चे मोमिन को देश के कानून मानने चाहिए। पांच वक्त की नमाज को ज़रूरी बताया और खासकर बेटियों को इस्लामी तालीम देने की बात की। उन्होंने जोर देकर कहा कि जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों की दुआ कबूल नहीं होती और इस्लाम को किताबों से निकाल कर असल ज़िंदगी में उतारना चाहिए।
100 एकड़ में इंतजाम, 5000 वॉलंटियर तैनात
फिरोजपुर झिरका की अनाज मंडी के पीछे 21 एकड़ में टेंट लगाए गए थे, लेकिन पूरी व्यवस्था लगभग 100 एकड़ में फैली हुई थी। यहां खाना, मेडिकल, वॉशरूम, पार्किंग और ठहरने के इंतज़ाम थे। भीड़ को संभालने के लिए 5,000 वॉलंटियर तैनात किए गए थे। सुरक्षा को लेकर पुलिस ने भी पुख्ता प्रबंध किए थे। कार्यक्रम के बाद दिल्ली-अलवर रोड पर ढाई घंटे तक लंबा जाम लगा रहा।
नूंह: तब्लीगी जमात की जड़ों की ज़मीन
नूंह को तब्लीगी जमात की शिक्षा की जन्मभूमि माना जाता है। 1926-27 में मौलाना इलियास कांधलवी ने यहीं से इस्लामी प्रचार की शुरुआत की थी। मदरसा मोइनुल इस्लाम अब तब्लीगी जमात का ऐतिहासिक संस्थान बन चुका है। यहीं से इस आंदोलन ने दुनिया के 150 से ज्यादा देशों में अपनी पहचान बनाई। आज भी हर शुक्रवार को हजारों लोग यहां नमाज अदा करने पहुंचते हैं।

- तब्लीगी जमात के जलसे के आखिरी दिन नूंह में 10 लाख से ज्यादा लोग पहुंचे, जगह कम पड़ गई।
- गेट पर ‘सेव गाजा’ और इजराइली प्रोडक्ट बायकॉट के बैनर लहराए गए, फिलिस्तीन के समर्थन में नारे लगे।
- मौलाना साद ने नमाज, कानून पालन और इस्लामी तालीम को ज़रूरी बताया।
- 100 एकड़ में जलसे का इंतजाम था, 5000 वॉलंटियर और पुलिस तैनात रही।
- नूंह को तब्लीगी जमात की शिक्षा की शुरुआत का केंद्र माना जाता है, यहीं से इसकी नींव रखी गई थी।