अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का एग्जीक्यूटिव बोर्ड शुक्रवार को अहम बैठक करने जा रहा है, जिसमें पाकिस्तान को 1.3 अरब डॉलर (करीब 11,113 करोड़ रुपये) का नया लोन देने पर फैसला होगा। यह सहायता “क्लाइमेट रेजिलिएंस लोन प्रोग्राम” के तहत प्रस्तावित है, जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पाकिस्तान को मदद देना है।
हालांकि, इस फंड को लेकर भारत की आपत्ति गंभीर मानी जा रही है। भारत ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान को किसी भी प्रकार की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सहायता देने पर सवाल उठाए हैं। भारत का मानना है कि यह फंड कहीं आतंकवाद को बढ़ावा देने में इस्तेमाल न हो जाए।
7 अरब डॉलर पैकेज की पहली समीक्षा भी एजेंडे में शामिल
आज की बैठक में पाकिस्तान को पहले से चल रहे 7 बिलियन डॉलर के एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) कार्यक्रम की पहली समीक्षा भी शामिल है। इस सहायता पैकेज की घोषणा जुलाई 2024 में की गई थी, जिसमें पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए तीन वर्षों में फंड जारी किया जाना है।
EFF के तहत कुल 37 महीनों में 6 समीक्षाएं होनी हैं, और हर समीक्षा के बाद पाकिस्तान को नई किस्त जारी की जाती है। इस बार की समीक्षा में लगभग 1 बिलियन डॉलर की किस्त रिलीज हो सकती है, बशर्ते पाकिस्तान की प्रदर्शन रिपोर्ट संतोषजनक मानी जाए।
भारत ने उठाया विरोध, आतंकी फंडिंग पर जताई चिंता
भारत ने IMF को स्पष्ट रूप से अवगत कराया है कि पाकिस्तान को दिए जाने वाले फंड पर दोबारा विचार किया जाए। भारत का तर्क है कि यह फंड पाकिस्तान द्वारा आतंकी गतिविधियों में लगाया जा सकता है, जिससे क्षेत्रीय शांति को खतरा है। भारत ने साथ ही वर्ल्ड बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक जैसे अन्य बहुपक्षीय संगठनों से भी इसी प्रकार की पुनर्रचना की अपील की है।
भारत का कूटनीतिक दबाव
22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की जान गई, के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक दबाव बढ़ा दिया है। भारत की कोशिश है कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन के रूप में चिन्हित किया जाए और उसके लिए मिलने वाली आर्थिक सहायता को रोका जाए।
IMF की आज की बैठक इस लिहाज से अहम मानी जा रही है क्योंकि यह न केवल पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा रणनीति पर भी असर डालेगी।
क्या करता है IMF का एग्जीक्यूटिव बोर्ड?
IMF का एग्जीक्यूटिव बोर्ड वैश्विक आर्थिक नीतियों के निर्णयों की केंद्रीय इकाई है। इसमें 24 कार्यकारी निदेशक होते हैं, जो विभिन्न देशों या देश समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत का भी एक स्वतंत्र प्रतिनिधि इस बोर्ड में होता है, जो देश की आर्थिक सुरक्षा और हितों की निगरानी करता है।
बोर्ड यह तय करता है कि किन देशों को लोन दिया जाए, किन नीतियों को लागू किया जाए और वैश्विक आर्थिक स्थिरता के लिए कौन से कदम उठाए जाएं। इसी वजह से भारत का इस बोर्ड में रुख काफी मायने रखता है।

- IMF का एग्जीक्यूटिव बोर्ड आज यह तय करेगा कि पाकिस्तान को 1.3 बिलियन डॉलर का नया लोन क्लाइमेट रेजिलिएंस प्रोग्राम के तहत दिया जाए या नहीं।
- भारत ने इस फंडिंग पर कड़ी आपत्ति जताई है, खासकर 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, जिसमें 26 पर्यटक मारे गए थे।
- IMF की मीटिंग में 7 बिलियन डॉलर EFF प्रोग्राम की पहली समीक्षा भी होगी, जिसमें यह तय होगा कि पाकिस्तान को अगली किस्त मिलेगी या नहीं।
- भारत ने IMF, वर्ल्ड बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक से पाकिस्तान को दिए जाने वाले सभी फंड्स की पुनर्समीक्षा की मांग की है।