राजस्थान पुलिस गुरुवार को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार शकूर खान को जैसलमेर लेकर पहुंची। सबसे पहले उसे जिले के रोजगार कार्यालय लाया गया, जहां वह कभी तैनात था। इसके बाद पुलिस टीम उसे लेकर उसके घर पहुंची और कई घंटों तक वहां जांच-पड़ताल जारी रही। टीम ने उसके आवास की तस्दीक की और पड़ोसियों से भी पूछताछ की।
घर और पुराने कार्यालय की जांच
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, घर की तलाशी में शकूर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण फाइलें और दस्तावेज़ बरामद हुए हैं। अधिकारियों ने उसके पुराने दफ्तर से भी जानकारी जुटाई। इसके बाद शकूर को जैसलमेर सीआईडी कार्यालय ले जाया गया, जहां पूछताछ का अगला दौर शुरू होना है।
10 जून तक रिमांड पर रहेगा
शकूर खान को अदालत ने सात दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा है, जो 10 जून तक जारी रहेगी। इस दौरान राजस्थान इंटेलिजेंस विंग के साथ-साथ अन्य केंद्रीय एजेंसियां उससे लगातार पूछताछ कर रही हैं। अधिकारियों के अनुसार, अब तक पांच से ज्यादा एजेंसियां उससे पूछताछ कर चुकी हैं और उसके फोन रिकॉर्ड, कॉल डिटेल्स और मोबाइल डेटा की गहराई से जांच की जा रही है।
मोबाइल डेटा से निकले कई सुराग
शकूर के मोबाइल में मौजूद नंबर और व्हाट्सऐप चैट्स के ज़रिए एजेंसियों ने कुछ संदिग्ध संपर्कों की पहचान की है। इनमें से कुछ लोग राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों में सक्रिय हैं, जिन पर नजर रखी जा रही है। वहीं, जैसलमेर में उसके बैंक खातों, संपत्ति खरीद-फरोख्त और लेन-देन का ब्योरा भी खंगाला जा रहा है।
विभागीय छुट्टियों और प्रमोशन पर उठे सवाल
जांच में शकूर की सरकारी सेवा के दौरान ली गई विभागीय छुट्टियों और विदेश यात्राओं की भी समीक्षा की जा रही है। साल 2000 में उसने बतौर चपरासी सरकारी नौकरी शुरू की थी और धीरे-धीरे प्रमोशन पाकर AAO (असिस्टेंट अकाउंट्स ऑफिसर) तक पहुंचा। अब उसकी पदोन्नति प्रक्रिया भी संदेह के दायरे में आ गई है।
पूर्व मंत्री का पीए रह चुका है शकूर
एक चौंकाने वाला खुलासा यह भी हुआ है कि शकूर 2008 से 2013 के बीच राजस्थान के तत्कालीन मंत्री सालेह मोहम्मद का निजी सहायक रह चुका है। इससे उसकी प्रशासनिक पहुंच और गोपनीय जानकारियों तक पहुंच की संभावनाओं पर सवाल खड़े हो गए हैं।
देशद्रोह और जासूसी के गंभीर आरोप
शकूर पर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने, संवेदनशील सूचनाएं लीक करने और पाकिस्तान से संपर्क रखने जैसे गंभीर आरोप हैं। अब एजेंसियां यह भी खंगाल रही हैं कि उसने किन-किन सूचनाओं को साझा किया और इसके लिए उसे किसी तरह का वित्तीय लाभ मिला या नहीं।
पूरे मामले को लेकर सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड में हैं और जैसलमेर समेत राजस्थान के कई जिलों में उसकी गतिविधियों से जुड़े ठिकानों पर नजर रखी जा रही है।