राजस्थान विधानसभा में हंगामे पर सख्त कदम, बिना प्रस्ताव और वॉर्निंग के तुरंत निलंबन। जानिए सत्तापक्ष और विपक्ष की क्या है प्रतिक्रिया।
राजस्थान विधानसभा में अब हंगामा और अव्यवस्था पर कड़ी लगाम लगाने की तैयारी है। सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने नई व्यवस्था लागू कर दी है। इस व्यवस्था के तहत अगर कोई सदस्य आसन की ओर बढ़ने या सदन की अवहेलना करने की कोशिश करता है, तो उसे बिना किसी प्रस्ताव या वॉर्निंग के तुरंत निलंबित कर दिया जाएगा।
क्यों उठाना पड़ा यह सख्त कदम?
विधानसभा में लगातार हो रहे हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही बाधित हो रही थी। हाल ही में कांग्रेस विधायकों ने इंदिरा गांधी के खिलाफ की गई टिप्पणी पर विरोध जताते हुए सदन में नारेबाजी और वेल में आकर हंगामा किया। इस दौरान स्पीकर के आसन की ओर बढ़ने का प्रयास भी किया गया। इन घटनाओं के चलते छह विधायकों को पहले ही निलंबित किया जा चुका है।
सत्तापक्ष और विपक्ष की प्रतिक्रिया
सत्तारूढ़ भाजपा ने इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि अनुशासन बनाए रखने के लिए यह कदम जरूरी था। भाजपा नेताओं का मानना है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत सदन में बहस होनी चाहिए, न कि हंगामा। वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस फैसले को तानाशाही बताया है। विपक्ष का कहना है कि इस तरह की व्यवस्था से सरकार बहस से बचना चाहती है और विपक्ष की आवाज दबाई जा रही है।