रविवार, जून 15, 2025
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राजस्थान कोचिंग सुसाइड केस: हाईकोर्ट की सख्त फटकार, कहा- सरकार ठोस कानून लाने में नाकाम

राजस्थान में कोचिंग सेंटरों से जुड़ी छात्रों की आत्महत्याओं के मामलों पर राजस्थान हाईकोर्ट ने गहरी चिंता जताई है। मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव की खंडपीठ ने इस विषय में सरकार की निष्क्रियता पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि साल 2019 से अब तक न कोई ठोस कानून बना और न ही कोई गाइडलाइन लागू की गई, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने अदालत को जानकारी दी कि इस साल 8 मई तक कुल 14 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं। कोर्ट ने कहा कि इस संवेदनशील मुद्दे पर सरकार को छात्रों की मानसिक स्थिति और कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए थी, लेकिन अब तक सिर्फ चर्चाएं हुईं, ठोस कदम नहीं उठाए गए।

सुप्रीम कोर्ट में 23 मई को होगी सुनवाई, हाईकोर्ट में दो सप्ताह बाद अगली पेशी

चूंकि इस मुद्दे से जुड़ा एक मामला सुप्रीम कोर्ट में 23 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, ऐसे में हाईकोर्ट ने अपनी अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद तय की है। अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल चर्चा करने से समाधान नहीं निकलता, अब समय आ गया है कि सरकार नियम बनाकर उन्हें प्रभावी रूप से लागू करे।

कोर्ट ने यह भी दोहराया कि कोचिंग सेंटरों में पढ़ने वाले छात्रों पर मानसिक दबाव को दूर करने की दिशा में तुरंत और ठोस प्रयास जरूरी हैं। ये कदम छात्रों की सुरक्षा और भविष्य दोनों के लिए बेहद अहम हैं।

कोचिंग विनियमन विधेयक को प्रवर समिति को सौंपा गया, पास नहीं हो सका बिल

राज्य सरकार ने इस साल एक कोचिंग विनियमन विधेयक का मसौदा विधानसभा में पेश किया, लेकिन इसे पास नहीं किया जा सका। विधेयक का भाजपा विधायकों ने विरोध किया और अंततः इसे चयन समिति के पास भेज दिया गया।

बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ ने चेताया कि यह बिल कोचिंग इंडस्ट्री को राजस्थान से बाहर करने का रास्ता बना सकता है, जिससे हजारों नौकरियां और लगभग 60,000 करोड़ रुपए का बड़ा उद्योग प्रभावित होगा। उन्होंने मांग की कि विधेयक में व्यापक परामर्श, संतुलित प्रतिनिधित्व और केंद्रीय गाइडलाइन को शामिल किया जाए।

विधायक गोपाल शर्मा ने बिल में केंद्रीय दिशा-निर्देशों की अनुपस्थिति पर सवाल उठाया, और कहा कि यदि केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार है तो गाइडलाइनों को समन्वय में लाकर लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी पूछा कि 16 वर्ष से अधिक उम्र के छात्रों को कोचिंग देने वाले प्रावधान विधेयक में क्यों शामिल नहीं किए गए।

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