Monday, April 28, 2025
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भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव आज, दोपहर का समय रहेगा पूजा के लिए शुभ, घर में करें रामचरितमानस का पाठ

जन जन के आराध्य भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव आज देशभर में मनाया जा रहा है। त्रेतायुग में आज ही के दिन यानी चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को भगवान श्रीराम ने महाराज दशरथ और माता कौशल्या के यहां जन्म लिया था। जिसे अब रामनवमी कहा जाता है। यह चैत्रिय नवरात्रि के अंतिम दिन आती है।

भगवान राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं और उनका जन्म बुराई का अंत कर अच्छाई और सत्य की स्थापना के लिए हुआ। इस वर्ष रामनवमी 6 अप्रैल 2025 रविवार को मनाई जाएगी। नवमी तिथि 5 अप्रैल को रात 7:25 बजे शुरू होकर 6 अप्रैल को रात 7:21 बजे तक रहेगी। इस दिन रामलला की पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 11:00 बजे से लेकर 1:35 बजे तक का है। यही समय पूजा के लिए सबसे पवित्र माना गया है क्योंकि श्रीराम का जन्म भी मध्याह्न में कर्क लग्न और पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था।

घर पर इस प्रकार करें भगवान राम का पूजन

रामनवमी की पूजा एक संयमित और भक्तिपूर्ण वातावरण में की जाती है। भगवान राम के साथ माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियों को लकड़ी या चांदी की चौकी पर स्थापित किया जाता है। इन मूर्तियों को जल और पंचामृत से स्नान कराकर उन पर चंदन, फूल, रोली और अक्षत अर्पित करें। पूजा सामग्री में केतकी, गुलाब, कमल, चंपा, मालती, गेंदा, तुलसी, कुशा, बिल्वपत्र, शमी और भृंगराज जैसे पारंपरिक फूल और पत्तियों का प्रयोग करें। पूजन के पश्चात रामचरितमानस  पाठ करें और भगवान श्रीराम की आरती करें।

भगवान श्रीराम के इन मंत्रों का करें जाप

इस दिन भगवान श्रीराम के मंत्रों का जाप करें। इसके लिए उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। इसके बाद इन मंत्रों का जाप करें।

  • ॐ रां रामाय नमः
  • राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे
  • रामचंद्राय वेदसे, रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम:

13 वर्ष बाद रवि पुष्य योग

इस वर्ष की राम नवमी 13 वर्ष बाद रवि पुष्य योग बन रहा है, जिसे खरीदारी और शुभ कार्यों के लिए अत्यंत फलदायक माना जाता है। रवि पुष्य के साथ इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, और सुकर्मा योग भी बन रहे हैं। ये योग धार्मिक दृष्टि से तो महत्वपूर्ण हैं ही, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी सौभाग्यकारी माने जाते हैं।

पुष्य नक्षत्र में विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में स्थायित्व, शांति और समृद्धि आती है। जब यह नक्षत्र रविवार को आता है, तो उसे रवि पुष्य योग कहा जाता है। जिसे हर कार्य के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।  इस योग में रियल एस्टेट, वाहन, सोना, चांदी, और आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी, साथ ही नए व्यवसाय की शुरुआत और निवेश संबंधी निर्णय अत्यंत शुभ फल देने वाले माने जाते हैं।

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