खुदरा महंगाई यानी CPI (Consumer Price Index) में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। मार्च में CPI घटकर 3.34% पर आ गई थी, जो अगस्त 2019 के बाद सबसे निचला स्तर है। बैंक ऑफ बड़ौदा की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल में यह दर 3% से भी नीचे जा सकती है। यह गिरावट मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट के कारण है।
सब्जियों और दालों की कीमतों में बड़ी गिरावट
बीओबी रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले कुछ हफ्तों में सब्जियों के दाम 34% तक और दालों के भाव 15% तक घटे हैं। यह रुझान महंगाई दर को नीचे खींच रहा है। हालांकि, खाने के तेल की कीमतों में 30% तक इजाफा जरूर हुआ है, लेकिन चूंकि सनफ्लावर ऑयल का वेटेज महंगाई इंडेक्स में 1% से भी कम है, इसलिए इसका कुल CPI पर बहुत असर नहीं पड़ेगा।
रेपो रेट कटौती की बढ़ी संभावना
गिरती महंगाई रिजर्व बैंक को एक नया मौका दे सकती है। जून 2025 की मौद्रिक नीति बैठक में रेपो रेट में 0.25% से अधिक की कटौती की उम्मीद जताई जा रही है। इससे लोन सस्ता हो सकता है और बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ को बल मिलेगा।
थाली इंडेक्स भी दे रहा राहत के संकेत
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की ‘रोटी-राइस रिपोर्ट’ के अनुसार अप्रैल में सामान्य शाकाहारी थाली की लागत 4% घटकर 26.3 रुपये रह गई है। सब्जियों की कीमतों में गिरावट ने थाली को सस्ता बना दिया है, जिससे आम उपभोक्ताओं पर बोझ कम हुआ है।
ग्रामीण बनाम शहरी महंगाई का फर्क
रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई दर घटकर 3.25% रह गई है, जबकि शहरी महंगाई थोड़ी बढ़कर 3.43% पर पहुंची है। इसका कारण यह हो सकता है कि ग्रामीण इलाकों में ताजा उत्पादन जल्दी पहुंचता है जिससे वहां दाम जल्दी गिरते हैं।