Monday, April 28, 2025
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सतुवाई अमावस्या 27 अप्रेल को, पितरों के लिए चावल से बने सत्तू का करें दान, सूर्य पूजा से मिलेगा विशेष फल

रविवार, 27 अप्रैल को वैशाख मास की अमावस्या है, जिसे सतुवाई अमावस्या कहा जाता है। यह दिन विशेष रूप से पितरों के प्रति श्रद्धा और पूजा का होता है। इस दिन पर पूजा के साथ-साथ दान-पुण्य और पितरों के प्रति श्रद्धा की परंपराएँ निभाई जाती हैं। इस तिथि पर विशेष रूप से सूर्य पूजा की जाती है, क्योंकि सूर्य को रविवार का कारक ग्रह माना जाता है।

सतुवाई अमावस्या पर पितरों के लिए पूजा और दान

इस दिन पितरों के लिए धूप-ध्यान करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस दिन दोपहर में करीब 12 बजे पितरों के लिए धूप-ध्यान किया जाता है। इसके लिए गोबर के कंडे जलाने और फिर अंगारों पर गुड़ और घी से धूप अर्पित करने का विधान है। इसके अलावा, इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने और दान-पुण्य करने की भी परंपरा है।

पितरों के लिए दान करने की विधि

सतुवाई अमावस्या पर विशेष दान करने की परंपरा है। इसमें विशेष रूप से सत्तू, जूते-चप्पल, सूती वस्त्र, छाता, गोशालाओं में गायों के लिए धन का दान आदि शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, इस दिन चावल से बने सत्तू का दान करने का विशेष महत्व है, जो पितरों के प्रति श्रद्धा और आभार को दर्शाता है।

अमावस्या के दिन विशेष पूजा-पाठ

अमावस्या के दिन घर की छत या सार्वजनिक स्थानों पर पक्षियों के लिए दाना-पानी रखने की परंपरा भी है। इसके साथ-साथ, शिवलिंग पर ठंडा जल चढ़ाने और पूजा में बिल्व पत्र, चावल और मिठाई का भोग अर्पित करने का भी महत्व है।

सतुवाई अमावस्या और पितरों की संतुष्ट

इस दिन को पितरों की संतुष्टि के लिए विशेष रूप से पवित्र माना जाता है, और विशेष रूप से चावल के दान से पितरों को संतुष्टि मिलती है। चावल से बने सत्तू का दान पितरों के श्राद्ध में किया जाता है, जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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