वैशाख मास के शुक्ल पक्ष को मनाई जाने वाली सीता नवमी इस बार 5 मई को मनाई जाएगी। नवमी तिथि की शुरुआत 5 मई को सुबह 7:35 बजे होगी और 6 मई को सुबह 8:38 बजे तक रहेगी।
इस दिन को माता सीता के प्राकट्योत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो देवी लक्ष्मी का अवतार और भगवान श्रीराम की पत्नी हैं। इस अवसर पर देशभर में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन किए जाएंगे, जिसमें महिलाएं विशेष रूप से भाग लेंगी।
सीता नवमी के दिन माता जानकी की पूजा विधिपूर्वक की जाती है। इस पूजन में भाग लेने वाली महिलाओं के लिए यह पर्व आत्मनिरीक्षण और अपने पारिवारिक दायित्वों को समझने का एक अवसर भी बनता है। माना जाता है कि इस दिन की गई पूजा से परिवार में सुख, समृद्धि और संतुलन का वास होता है।
कई समाजशास्त्री मानते हैं कि इस उत्सव में निहित आध्यात्मिक भावनाएं महिलाओं को मानसिक शांति, मातृत्व का बोध और दाम्पत्य जीवन में सहनशीलता विकसित करने में मदद करती हैं। यही कारण है कि यह पर्व भारतीय सामाजिक संरचना में एक विशेष स्थान रखता है।
सीता नवमी पर क्या न करें
इस दिन को धार्मिक रूप से अत्यंत पवित्र माना जाता है, इसलिए कुछ कार्यों से परहेज करना आवश्यक होता है, जो सामाजिक मर्यादा और आत्मिक शुद्धता को भंग कर सकते हैं।
- मांसाहार, मदिरा या तामसिक भोजन का सेवन इस दिन वर्जित होता है।
- घर को स्वच्छ और शांत बनाए रखना आवश्यक होता है, क्योंकि यह पर्व देवी स्वरूप के स्वागत का प्रतीक होता है।
- किसी भी प्रकार के झगड़े, तकरार या मन में ईर्ष्या और क्रोध को स्थान नहीं दिया जाना चाहिए।
- घर आए किसी भी अतिथि के प्रति अनादर भाव नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह सामाजिक समरसता के विरुद्ध जाता है।