कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 पर तीखा हमला किया है। उन्होंने शिक्षा नीति को केंद्रीकरण, व्यवसायीकरण और सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाला करार दिया है। अंग्रेजी अखबार द हिंदू में एक लेख लिखते हुए सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार की शिक्षा नीति को युवाओं और बच्चों की शिक्षा के प्रति गहरी उदासीनता का प्रतीक बताया।
मोदी सरकार पर संघीय शिक्षा ढांचे को कमजोर करने का आरोप
सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने संघीय शिक्षा ढांचे को कमजोर कर दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने शिक्षा के महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों में राज्य सरकारों को पूरी तरह से बाहर कर दिया है। केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की बैठक भी सितंबर 2019 से नहीं हुई है, जिसमें केंद्र और राज्य दोनों के मंत्री शामिल होते हैं।
उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति में केंद्र ने अपनी ताकत को बढ़ाते हुए सिलेबस और संस्थानों में सांप्रदायिकता फैलाने का प्रयास किया है।
सरकारी स्कूलों की जगह निजी स्कूलों को बढ़ावा
सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने समग्र शिक्षा अभियान (SSA) के लिए ग्रांट रोककर राज्य सरकारों को पीएम-श्री (पीएम स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया) योजना को लागू करने के लिए मजबूर किया है। इसके चलते सरकारी स्कूलों की जगह निजी स्कूलों को बढ़ावा मिला है।
उन्होंने कहा कि SSA ग्रांट का उद्देश्य राज्यों को बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम को लागू करने में सहायता करना था। संसदीय स्थायी समिति ने भी SSA निधियों को बिना शर्त जारी करने की मांग उठाई थी।
RTE के तहत स्कूलों की दूरी तय, NEP ने किया कमजोर
सोनिया गांधी ने कहा कि शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम ने एक किलोमीटर के भीतर प्राइमरी स्कूल और तीन किलोमीटर के भीतर अपर प्राइमरी स्कूल की अनिवार्यता को सुनिश्चित किया था। लेकिन NEP ने स्कूल परिसरों के विचार को बढ़ावा देकर इस अवधारणा को कमजोर कर दिया है।
उन्होंने यह भी कहा कि 2014 से देशभर में 89,441 पब्लिक स्कूल बंद हो गए, जबकि 42,944 निजी स्कूल खुले हैं। इससे साफ है कि शिक्षा नीति ने गरीब छात्रों को सार्वजनिक शिक्षा से दूर कर दिया है।
विश्वविद्यालयों को कर्ज लेने पर मजबूर कर रही सरकार
सोनिया गांधी ने उच्च शिक्षा में केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के लिए नए ड्राफ्ट गाइडलाइन में राज्य सरकारों की भूमिका को लगभग समाप्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को उच्च शिक्षा फाइनेंसिंग एजेंसी (HEFA) से बाजार दरों पर कर्ज लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जो अंततः छात्रों की फीस बढ़ोतरी का कारण बनता है।
शिक्षा प्रणाली में नफरत फैलाने का आरोप
सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर शिक्षा प्रणाली के माध्यम से नफरत फैलाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की किताबों से इतिहास के महत्वपूर्ण हिस्से हटाए जा रहे हैं।
मुगल काल और महात्मा गांधी की हत्या से जुड़े विषयों को पाठ्यक्रम से निकाल दिया गया है। हालांकि जनता के विरोध के बाद संविधान की प्रस्तावना को वापस जोड़ा गया।
फडणवीस का पलटवार: सोनिया गांधी को जानकारी बढ़ानी चाहिए
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोनिया गांधी के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें अधिक जानकारी हासिल करनी चाहिए। फडणवीस ने कहा कि NEP 2020 भारत की शिक्षा प्रणाली के भारतीयकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
NEP 2020 के विवाद की वजह क्या है?
NEP 2020 के तहत छात्रों को तीन भाषाएं सीखने की अनिवार्यता है, लेकिन इनमें से कोई भी भाषा अनिवार्य नहीं है। राज्यों और स्कूलों को यह तय करने की आजादी है कि वे कौन-सी तीन भाषाएं पढ़ाना चाहते हैं।
मिडिल क्लास (कक्षा 6 से 10) में तीन भाषाओं की पढ़ाई करना अनिवार्य है। गैर-हिंदी भाषी राज्यों में अंग्रेजी या एक आधुनिक भारतीय भाषा का विकल्प रहेगा। सेकेंडरी सेक्शन (11वीं और 12वीं) में स्कूलों को विदेशी भाषा पढ़ाने का विकल्प भी दिया गया है।
इस नई शिक्षा नीति का विपक्षी दलों ने संसद में कड़ा विरोध किया है। खासतौर पर डीएमके सांसदों ने इसका खुलकर विरोध किया और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के खिलाफ नारेबाजी की।
खबर की मुख्य बातें
- शिक्षा नीति में 3C एजेंडा: सोनिया गांधी ने NEP 2020 को केंद्रीकरण, व्यवसायीकरण और सांप्रदायिकता बढ़ाने वाला बताया।
- संघीय शिक्षा ढांचे पर संकट: केंद्र सरकार पर राज्यों को नीतिगत निर्णयों से बाहर रखने का आरोप लगाया।
- निजीकरण को बढ़ावा: सरकारी स्कूलों के बजाए प्राइवेट स्कूलों को प्राथमिकता देने पर नाराजगी जताई।
- उच्च शिक्षा में कर्ज का बोझ: HEFA के जरिए विश्वविद्यालयों पर कर्ज लेने का दबाव बनाने का दावा।
- शिक्षा प्रणाली में नफरत का प्रसार: NCERT की किताबों से ऐतिहासिक तथ्यों को हटाने पर चिंता जताई।