सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि नए वक्फ कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 20 मई को सुनवाई की जाएगी। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने यह आदेश देते हुए केंद्र सरकार और याचिकाकर्ताओं से 19 मई तक जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
इस मामले में केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जबकि याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, राजीव धवन और अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलीलें रखीं। सुनवाई से पहले कोर्ट ने कहा कि अंतरिम राहत के मुद्दे पर 20 मई को विचार किया जाएगा।
केंद्र ने दिया विस्तृत हलफनामा, AIMPLB ने उठाए सवाल
25 अप्रैल को दायर केंद्र सरकार के 1332 पन्नों के हलफनामे में दावा किया गया है कि 2013 के बाद से देशभर में वक्फ संपत्तियों में 20 लाख एकड़ से ज्यादा का इजाफा हुआ है, जिससे निजी और सरकारी जमीनों पर विवाद बढ़े हैं। वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस डेटा को गलत बताया है और सरकारी अधिकारियों पर झूठा हलफनामा दायर करने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है।
सिर्फ पांच याचिकाओं पर होगी सुनवाई, ओवैसी की याचिका भी शामिल
हालांकि सुप्रीम कोर्ट में 70 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सिर्फ पांच मुख्य याचिकाओं पर ही सुनवाई होगी। इन याचिकाओं में AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी की याचिका भी शामिल है। विपक्षी दलों और विभिन्न संगठनों ने इस कानून के कई प्रावधानों को लेकर संवैधानिक आपत्तियां जताई हैं।
क्या कहता है नया वक्फ कानून?
अप्रैल में राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू हुआ संशोधित वक्फ कानून संसद के दोनों सदनों से पारित हुआ था। लोकसभा में 288 और राज्यसभा में 128 सांसदों ने इसका समर्थन किया था। वहीं, कई विपक्षी दलों ने कानून का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि यह कानून लाखों सुझावों और विस्तृत विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि वक्फ बोर्ड की गतिविधियों से कई गांवों और निजी संपत्तियों के हड़पने की घटनाएं सामने आई हैं, जिन्हें रोकने के लिए नया कानून जरूरी था।
याचिकाओं में उठाए गए 3 प्रमुख संवैधानिक मुद्दे
- याचिकाकर्ताओं का कहना है कि नया कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 25, 26, 29 और 300A का उल्लंघन करता है।
- वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति और जिलाधिकारियों को संपत्ति विवादों का अधिकार देने पर सवाल उठाए गए हैं।
- यह कानून अन्य धार्मिक ट्रस्टों के मुकाबले मुस्लिम वक्फ पर भेदभावपूर्ण नियंत्रण लागू करता है।