राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने पार्टी और परिवार से निष्कासन के बाद पहली बार चुप्पी तोड़ी है। सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट के ज़रिए उन्होंने अपने माता-पिता से प्रेम और निष्ठा जताई, लेकिन साथ ही इशारों में पार्टी के भीतर चल रही गुटबाज़ी और कुछ नेताओं पर तीखा हमला भी किया।
तेज प्रताप ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, ‘मेरे प्यारे मम्मी-पापा… मेरी सारी दुनिया आप दोनों में ही समाई है। भगवान से बढ़कर है आप और आपका दिया कोई भी आदेश। आप हैं तो सब कुछ है मेरे पास।’ उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे सिर्फ आपका विश्वास और प्यार चाहिए, ना कि कुछ और। पापा आप नहीं होते तो ना ये पार्टी होती और ना मेरे साथ राजनीति करने वाले कुछ जयचंद जैसे लालची लोग।’
तेज प्रताप ने इस पोस्ट के ज़रिए यह भी स्पष्ट किया कि उनके लिए परिवार सर्वोपरि है और पार्टी की राजनीति में जो दिक्कतें आईं, उसका कारण कुछ आंतरिक लोग हैं, जिनका स्वार्थ हावी है।
लालू यादव ने बताई निष्कासन की वजह
इस पूरे विवाद की पृष्ठभूमि उस समय बनी जब तेज प्रताप यादव के फेसबुक अकाउंट से अनुष्का यादव के साथ एक तस्वीर पोस्ट की गई और यह दावा किया गया कि वे 12 वर्षों से रिलेशनशिप में हैं। हालांकि पोस्ट कुछ ही घंटों में डिलीट कर दी गई और तेज प्रताप ने सफाई दी कि उनका अकाउंट हैक हुआ था और यह उनके खिलाफ रची गई साजिश है।
इसके तुरंत बाद लालू यादव ने कड़ा रुख अपनाते हुए एक आधिकारिक बयान में कहा, ‘निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना हमारे सामाजिक न्याय के संघर्ष को कमज़ोर करता है। ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधियां पारिवारिक मूल्यों और लोक आचरण के अनुरूप नहीं हैं, अतः उसे पार्टी और परिवार से बाहर किया जाता है।’
राजद सुप्रीमो ने यह भी जोड़ा कि तेज प्रताप की पार्टी या परिवार में कोई भूमिका नहीं रहेगी और उन्हें छह वर्षों के लिए निष्कासित किया जा रहा है। साथ ही यह भी कहा कि तेज प्रताप को अपने जीवन का निर्णय खुद लेना है, और जो भी उनसे संबंध रखेंगे, वह अपने विवेक से करें।
बीजेपी पर भी बरसे थे तेज प्रताप
इस विवाद से पहले तेज प्रताप यादव ने बिहार की एनडीए सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी निशाने पर लिया था। उन्होंने लिखा था कि ‘बिहार में 20 वर्षों की NDA सरकार ने बेरोजगारी, गरीबी और पलायन बढ़ाया है। नीति आयोग की रिपोर्टों में शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्योग के मामले में बिहार सबसे फिसड्डी है।’
तेज प्रताप ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री केवल चुनावी वर्ष में बिहार आते हैं और वर्षों पुरानी योजनाओं का बार-बार शिलान्यास कर जनता को भ्रमित करने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री यह बिहार है, बिहारी इस तरह के झांसे में नहीं आते!’
तेज प्रताप की चुप्पी टूटी, विवाद फिर गरमाया
तेज प्रताप यादव का यह ताज़ा बयान न सिर्फ उनके राजनीतिक भविष्य की नई दिशा तय कर सकता है, बल्कि राजद में आंतरिक मतभेदों और पारिवारिक विभाजन को लेकर भी नई बहस को जन्म दे रहा है। जयचंद जैसे शब्दों के प्रयोग से यह साफ़ है कि मामला केवल अनुशासनात्मक नहीं, बल्कि गहरी नाराज़गी और दरार का संकेत भी है।