अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को चीन के खिलाफ आयात शुल्क (टैरिफ) को और कड़ा करते हुए 145% तक बढ़ा दिया है। इससे एक दिन पहले ही उन्होंने 125% टैरिफ का ऐलान किया था। इस निर्णय के चलते अब चीन से आने वाला 100 डॉलर का सामान अमेरिकी बाजार में 245 डॉलर में मिलेगा, जिससे वहां चीनी उत्पादों की मांग में गिरावट आना तय है।
भारत समेत 75 देशों पर भी बेसलाइन टैरिफ लागू
ट्रम्प सरकार ने सिर्फ चीन ही नहीं, बल्कि भारत समेत लगभग 75 देशों पर भी एकसमान 10% का बेसलाइन टैरिफ लगाया है। इसके तहत भारत पर पहले ही 26% का रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया जा चुका है। यह कदम ट्रम्प द्वारा 2 अप्रैल को घोषित नए ट्रेड फ्रेमवर्क का हिस्सा है, जिसमें उन्होंने ‘जैसे को तैसा’ नीति अपनाने की बात कही थी।
चीनी प्रतिक्रिया: 84% टैरिफ और रणनीतिक जवाब
जवाब में चीन ने अमेरिका पर 84% तक का टैरिफ लागू कर दिया है। चीन के पास अमेरिका के लगभग 600 अरब पाउंड (करीब 760 अरब डॉलर) के सरकारी बॉन्ड हैं, जिससे वह अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर अप्रत्यक्ष रूप से दबाव बना सकता है। इसके साथ ही, चीन ने अपने इंडस्ट्रियल सेक्टर को 1.9 लाख करोड़ डॉलर का अतिरिक्त लोन देकर निर्माण और तकनीकी अपग्रेडेशन तेज कर दिया है।
शेयर बाजारों और तेल कीमतों पर सीधा असर
इस टैरिफ वॉर का असर सीधे अमेरिकी शेयर बाजारों पर देखा गया। नैस्डैक कंपोजिट इंडेक्स में करीब 7% की गिरावट आई, जिसमें Apple और Nvidia जैसी दिग्गज कंपनियों के शेयर शामिल हैं। वहीं, कच्चे तेल की कीमतें भी 4% तक गिरकर 63 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गई हैं।
चीन की सख्त चेतावनी: आखिर तक लड़ाई जारी रहेगी
इस व्यापारिक टकराव के बीच चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने साफ शब्दों में कहा कि चीन ‘झुकने’ के बजाय आखिर तक लड़ेगा। उन्होंने सोशल मीडिया पर 1953 के कोरियाई युद्ध से जुड़े एक पुराने वीडियो को साझा किया जिसमें माओ जेदोंग कहते हैं – “हम चीनी हैं। हम उकसावे से नहीं डरते, हम पीछे नहीं हटते।”
90 दिन की रोक के साथ ट्रम्प ने दिया संकेत
हालांकि ट्रम्प ने 75 देशों से बातचीत के बाद 90 दिन की रोक (pause) की भी घोषणा की है, ताकि नए व्यापार समझौतों के लिए रास्ता बनाया जा सके। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका के खिलाफ किसी देश ने प्रतिक्रिया नहीं दी है और इस समय को वह रणनीतिक बातचीत के रूप में देख रहे हैं।