Monday, April 28, 2025
spot_img
Homeधर्म-संस्कृतिवरूथिनी एकादशी पर करें भगवान विष्णु की विशेष पूजा, तपस्वी राजा को...

वरूथिनी एकादशी पर करें भगवान विष्णु की विशेष पूजा, तपस्वी राजा को मिला था मोक्ष

हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरूथिनी एकादशी कहते हैं। यह एकादशी आत्मशुद्धि, संयम और मोक्ष की ओर बढ़ने की परंपरा का प्रतीक मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है और अनजाने में किए गए पाप कर्मों का क्षय होता है। धार्मिक मान्यताओं में इसे अत्यंत पुण्यदायी व्रत माना गया है।

वरूथिनी एकादशी की कथा: करुणा, तप और भक्ति की अद्भुत मिसाल

पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार प्राचीन समय में मान्धाता नामक तपस्वी राजा नर्मदा नदी के तट पर तपस्या कर रहे थे। तभी एक जंगली भालू उनके पैर को चबा गया और जंगल में घसीटकर ले गया। भयंकर पीड़ा के बावजूद राजा ने क्रोध नहीं किया, बल्कि करुण भाव से विष्णु से रक्षा की प्रार्थना की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर विष्णु प्रकट हुए और चक्र से भालू का अंत किया।

भगवान ने बताया कि यह घटना राजा के पूर्व जन्म के कर्मों का फल थी। उन्होंने राजा से कहा कि मथुरा जाकर वरूथिनी एकादशी का व्रत करें और वराह अवतार की पूजा करें। इस व्रत के प्रभाव से राजा का शरीर पुनः संपूर्ण और सुंदर हुआ और उन्हें मोक्ष भी प्राप्त हुआ।

पूजा विधि व शुभ मुहूर्त

इस वर्ष वरूथिनी एकादशी व्रत 24 अप्रैल 2025 को रखा जाएगा। यह व्रत 23 अप्रैल की शाम 4:43 से प्रारंभ होकर 24 अप्रैल दोपहर 2:32 तक रहेगा।
पूजा के उत्तम मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • प्रात: 5:47 से 7:25 तक
  • प्रात: 10:41 से दोपहर 1:58 तक

इस दिन व्रत कथा का श्रवण और श्रीहरि की विधिवत पूजा अत्यंत फलदायी मानी गई है। श्रीहरि विष्णु के वराह स्वरूप की आराधना विशेष रूप से की जाती है।

अन्य खबरें