शनिवार, जून 14, 2025
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वास्तु: घर के मुख्य द्वार पर 5 चीज़ें बन सकती हैं दुर्भाग्य की वजह, जानिए क्यों बिगड़ता है ऊर्जा का संतुलन

भारतीय सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में घर के मुख्य द्वार का विशेष स्थान है। इसे केवल एक प्रवेशद्वार न मानकर ऊर्जा, शांति और समृद्धि के प्रवाह का अहम मार्ग समझा जाता है। इसी मान्यता पर आधारित है वास्तुशास्त्र—जो भौतिक स्थानों के विन्यास और उसमें बहती ऊर्जा को लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश देता है। इसमें बताया गया है कि हमारे घर के मुख्य द्वार पर रखी कुछ विशेष चीज़ें जीवन में बाधाओं और मानसिक अशांति का कारण बन सकती हैं।

कई बार बिना किसी ठोस कारण के जीवन में असफलता, पारिवारिक कलह या स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियां आने लगती हैं। ऐसे में लोग तमाम प्रयासों के बावजूद समाधान नहीं पा पाते। परंपरागत दृष्टिकोण कहता है कि हमारे आसपास का वातावरण और उसमें बहती ऊर्जा हमारे मानसिक और सामाजिक जीवन पर गहरा असर डालती है। और यह ऊर्जा सबसे पहले घर के प्रवेशद्वार से गुजरती है।

आइए जानते हैं कि घर के मुख्य द्वार पर किन वस्तुओं की उपस्थिति नकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित कर सकती है और सामाजिक-धार्मिक परिप्रेक्ष्य में इन्हें क्यों अवांछनीय माना गया है।

टूटी हुई या बंद मूर्तियां अशुभ मानी जाती हैं

Broken statue That Bring Bad Luck at Entrance

कई घरों में भावनाओं या श्रद्धा के चलते लोग दरवाज़े के पास टूटी हुई या बंद पड़ी मूर्तियां रख देते हैं। हालांकि परंपरागत दृष्टिकोण कहता है कि ऐसी मूर्तियां ऊर्जा के प्रवाह में बाधा डालती हैं। इन्हें अशुद्ध या निष्क्रिय माना जाता है, जिससे घर का वातावरण बोझिल और मानसिक रूप से तनावपूर्ण हो सकता है।

बिखरे हुए जूते-चप्पलों से अस्थिरता आती है

unarranged shoes That Bring Bad Luck at Entrance

समाजशास्त्रीय रूप से देखें तो किसी स्थान की स्वच्छता और व्यवस्था का सीधा संबंध व्यक्ति की मानसिक स्थिति से होता है। मुख्य द्वार पर बिखरे हुए जूते-चप्पल गंदगी और अव्यवस्था का प्रतीक बनते हैं, जो नकारात्मक सोच और पारिवारिक कलह को बढ़ावा दे सकते हैं।

बेकार कबाड़ प्रगति में लाते हैं रुकावट

scraps That Bring Bad Luck at Entrance

टूटे-फूटे बर्तन, रद्दी अखबार या पुराना फर्नीचर दरवाज़े के पास रखना सौंदर्यबोध और ऊर्जा—दोनों के लिए बाधक माना जाता है। सांस्कृतिक रूप से भी माना गया है कि ऐसे कबाड़ स्थानों पर रुकावटें और रुग्णता जन्म लेती है, जिससे घर का सामूहिक मनोबल कमजोर होता है।

जली हुई अगरबत्तियां और दीये

प्रार्थना और धूप-दीप का स्थान भारतीय घरों में विशेष होता है, पर पूजा के बाद जली हुई अगरबत्तियां और टूटे हुए दीये मुख्य द्वार पर छोड़ देना न केवल अनुपयुक्त है बल्कि यह अनदेखे तौर पर अशुभ संकेत भी देता है। इसे तुरंत हटाकर स्वच्छता बनाए रखना आवश्यक है।

मृत पक्षियों के पंख या हड्डियों से बनी सजावट

Traditonal decoration That Bring Bad Luck at Entrance

कई बार सजावटी वस्तुओं में पंख, खाल या हड्डियों से बनी चीज़ें इस्तेमाल की जाती हैं। पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, ये वस्तुएं मृत्यु और अशुद्ध ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती हैं। इनकी मौजूदगी से घर का वातावरण बोझिल और अप्रिय हो सकता है।

मुख्य द्वार को शुभ और शांतिपूर्ण कैसे बनाएं?

  • स्वस्तिक, ओम या अन्य शुभ प्रतीकों का निशान बनाएं
  • तुलसी का पौधा द्वार के पास रखें, यह शुद्धता और ऊर्जा का प्रतीक है
  • मुख्य दरवाज़े को हमेशा साफ, व्यवस्थित और आकर्षक बनाए रखें
  • त्योहारों या शुभ अवसरों पर द्वार की पारंपरिक सजावट करें

सांस्कृतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य से देखा जाए, तो मुख्य द्वार केवल घर की सुरक्षा या शोभा नहीं, बल्कि आपके मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक संतुलन का द्वार भी है। यहां की छोटी-छोटी सजगताएं न केवल जीवन की दशा को प्रभावित कर सकती हैं, बल्कि पूरे पारिवारिक वातावरण में स्थिरता और सकारात्मकता ला सकती हैं। यह समझ और अनुशासन आधुनिक समाज में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना पारंपरिक जीवन में था।

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  1. घर का मुख्य द्वार केवल प्रवेश द्वार नहीं, ऊर्जा और समृद्धि का स्रोत भी माना जाता है।
  2. टूटी मूर्तियां, जूते-चप्पल का ढेर, और रद्दी सामान मुख्य द्वार पर वास्तु दोष का कारण बनते हैं।
  3. जली अगरबत्तियां व हड्डियों की सजावट भी घर के वातावरण को नकारात्मक बना सकती हैं।
  4. तुलसी का पौधा, स्वस्तिक चिन्ह और सफाई से द्वार को सकारात्मक बनाया जा सकता है।
  5. रिपोर्ट समाज और परंपरा की दृष्टि से मुख्य द्वार की भूमिका को वैज्ञानिक व सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से रेखांकित करती है।
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