विध्नहर्ता भगवान गणेश का व्रत विकट संकष्टी चतुर्थी इस बार बुधवार के विशेष संयोग के साथ आ रही है। यह व्रत इस बार 16 अप्रेल को है और इसी दिन बुधवार भी है, जो गणेश जी विशेष आराधना का दिन होता है। विकट संकष्टी चतुर्थी हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखती है। इस दिन को संकटों से मुक्ति, मानसिक स्पष्टता और पारिवारिक सुख-समृद्धि प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है। जीवन में जब मार्ग कठिन हो, तो इस दिन रखा गया व्रत एक आंतरिक संबल बनकर सामने आता है।
‘संकष्टी’ शब्द ही दर्शाता है कि यह दिन संकटों से रक्षा करने वाला है। वहीं, ‘विकट’ विशेष रूप से उन कठिन परिस्थितियों की ओर संकेत करता है जो जीवन में गहराई से प्रभाव डालती हैं। भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नविनाशक के रूप में जाना जाता है, इस दिन विशेष रूप से पूजनीय होते हैं।
व्रत की तिथि और शुभ संयोग
16 अप्रैल 2025, बुधवार को आने वाली यह संकष्टी चतुर्थी इसलिए भी विशेष है क्योंकि यह बुधवार के दिन पड़ रही है जो कि स्वयं गणेश जी का प्रिय वार माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस योग में व्रत रखने से बुद्धि, विवेक और कुटुंब में समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- चतुर्थी तिथि आरंभ: 16 अप्रैल 2025 दोपहर 1:16 बजे
- चतुर्थी तिथि समाप्त: 17 अप्रैल 2025 दोपहर 3:23 बजे
- पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 5:55 से सुबह 9:08 तक
- चंद्रोदय: रात 10 बजे
पूजा विधि और सांस्कृतिक अनुष्ठान
व्रतधारी श्रद्धालु इस दिन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। भगवान गणेश की प्रतिमा को लाल वस्त्र पर स्थापित कर, ताजे फूल, दुर्वा, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित किया जाता है। भोग में विशेष रूप से मोदक या लड्डू अर्पण किए जाते हैं, जिन्हें गणेश जी प्रिय मानते हैं।
पूजा में धार्मिक मंत्रों का जाप, व्रत कथा का श्रवण या पाठ तथा संध्या में आरती की जाती है। रात्रि में चंद्रमा के दर्शन और पूजन के पश्चात व्रत का पारण किया जाता है।