विटामिन डी की कमी से शरीर में थकान, हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी और मूड स्विंग्स जैसी समस्याएं हो सकती हैं। बच्चों में रिकेट्स जैसी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। इस कमी को पूरा करने के लिए सूर्य की रोशनी, सही आहार और डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट्स लेना जरूरी है।
नेशनल डेस्क: विटामिन डी की कमी शरीर में कई समस्याओं को जन्म दे सकती है, जैसे थकान, हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द, और बच्चों में रिकेट्स जैसी बीमारी। इस कमी को दूर करने के लिए सूर्य की रोशनी, सही आहार और डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट्स लेना जरूरी है। किडनी और लिवर की बीमारियों या मोटापे के कारण भी विटामिन डी का स्तर घट सकता है।
विटामिन डी क्यों है जरूरी?
विटामिन डी हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है। इसकी कमी से हड्डियों की मजबूती पर असर पड़ता है। सूरज की रोशनी, सही डाइट और सप्लीमेंट्स से इस कमी को पूरा किया जा सकता है। विटामिन डी की कमी के लक्षण अक्सर वयस्कों में विटामिन डी की कमी के लक्षण साफ नजर नहीं आते, लेकिन कुछ संकेतों को पहचानना जरूरी है:
- लगातार थकान महसूस होना
- हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द
- मांसपेशियों में कमजोरी या ऐंठन
- मूड स्विंग्स या डिप्रेशन
बच्चों में विटामिन डी की कमी के लक्षण बच्चों में इस विटामिन की कमी से रिकेट्स जैसी बीमारी हो सकती है। इसके लक्षण हैं–
- हड्डियों का झुकना या मुड़ना
- शारीरिक विकास में रुकावट
- मांसपेशियों में कमजोरी
कैसे बढ़ाएं विटामिन डी का स्तर? विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत सूरज की रोशनी है।
- विटामिन डी से भरपूर आहार लें (जैसे अंडे, मछली, डेयरी उत्पाद)
- डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट्स लें
- नियमित रूप से बाहर धूप में समय बिताएं
- विटामिन डी की कमी से जुड़ी बीमारियां
सिस्टिक फाइब्रोसिस, क्रोहन और सीलिएक रोग के कारण शरीर विटामिन डी को सही तरह से अवशोषित नहीं कर पाता। मोटापे के कारण शरीर में विटामिन डी का स्तर कम हो सकता है, जिससे सप्लीमेंट की ज्यादा खुराक की जरूरत पड़ती है। किडनी और लिवर की बीमारियों से विटामिन डी को एक्टिव रूप में बदलने वाले एंजाइम्स की कमी हो सकती है।