नेशनल ब्रेकिंग. देश में फरवरी महीने की रिटेल महंगाई दर में गिरावट आने के संकेत मिल रहे हैं। खासतौर पर खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई नरमी के कारण यह दर 4% या उससे भी नीचे रह सकती है, जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निर्धारित लक्ष्य के भीतर है। जनवरी में यह दर 4.31% थी, लेकिन हालिया आंकड़े इसे और कम बताते हैं।
अप्रैल में रेपो रेट में कटौती संभव
RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) अप्रैल में एक बार फिर नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट में कटौती कर सकती है। इससे पहले, जनवरी-मार्च तिमाही में रिटेल महंगाई दर 4.4% रहने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन फरवरी के आंकड़े इससे भी कम रहने की संभावना है।
रिजर्व बैंक के अनुमान और एजेंसियों की राय
रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए औसत रिटेल महंगाई दर 4.8% रहने का अनुमान लगाया है। वहीं, जापान की ब्रोकरेज फर्म नोमुरा का कहना है कि सब्जियों की कीमतों में गिरावट की वजह से फरवरी में महंगाई दर 4% और जनवरी-मार्च तिमाही में 4.1% रह सकती है। अन्य विदेशी और घरेलू एजेंसियों ने भी इसी तरह का अनुमान जताया है।
महंगाई दर कैसे तय होती है?
महंगाई दर उत्पादों की मांग और आपूर्ति पर निर्भर करती है। जब लोगों के पास खर्च करने के लिए अधिक धन होता है, तो वे अधिक चीजें खरीदते हैं, जिससे मांग बढ़ती है। यदि इस बढ़ती मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं होती, तो कीमतें बढ़ जाती हैं और महंगाई बढ़ती है। इसके विपरीत, जब आपूर्ति अधिक होती है और मांग कम होती है, तो महंगाई घटती है।
CPI से तय होती है महंगाई दर
रिटेल महंगाई दर को मापने के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) का उपयोग किया जाता है। CPI उन वस्तुओं और सेवाओं की औसत कीमत को दर्शाता है, जिन्हें उपभोक्ता रोजमर्रा के जीवन में खरीदते हैं। इसमें खाद्य पदार्थ, ऊर्जा, वस्त्र, परिवहन और अन्य आवश्यक वस्तुएं शामिल होती हैं। CPI में करीब 300 वस्तुओं की कीमतों को आधार बनाया जाता है।