ब्लड शुगर लेवल की नियमित जांच करना बहुत जरूरी है, खासकर डायबिटीज के रोगियों के लिए। सही ब्लड शुगर लेवल से आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रख सकते हैं और गंभीर समस्याओं से बच सकते हैं। हाई और लो ब्लड शुगर दोनों ही स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, इसलिए इनका सही स्तर बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली. ग्लूकोज शरीर के लिए मुख्य ऊर्जा स्रोत है, जो कार्बोहाइड्रेट से बनता है और रक्त द्वारा कोशिकाओं तक पहुंचता है। पैंक्रियाज द्वारा उत्पन्न इंसुलिन हार्मोन, ग्लूकोज को कोशिकाओं तक पहुंचाने में मदद करता है। स्वस्थ जीवन के लिए ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखना बेहद महत्वपूर्ण है, विशेषकर उन लोगों के लिए जिनमें डायबिटीज का खतरा हो।
ब्लड शुगर लेवल की निगरानी
अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (ADA) के अनुसार, ब्लड शुगर का स्तर खाने से पहले और बाद में अलग-अलग होता है। ब्लड शुगर को सही तरीके से नियंत्रित करने के लिए यह समझना जरूरी है कि आपके ब्लड शुगर का स्तर कहां है।
नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल
- फास्टिंग ब्लड शुगर: यह स्तर रात भर के उपवास के बाद मापते हैं। सामान्य स्तर 70 से 130 mg/dL के बीच होता है।
- भोजन के बाद ब्लड शुगर: यह स्तर खाने के बाद 2 घंटे में मापा जाता है। सामान्य तौर पर, स्वस्थ लोगों के लिए यह स्तर 130 से 140 mg/dL के बीच होना चाहिए।
ब्लड शुगर लेवल की जांच क्यों जरूरी है?
ब्लड शुगर की नियमित जांच से यह पता चलता है कि आप अपने ग्लूकोज लक्ष्यों को पूरा कर रहे हैं या नहीं। अगर ब्लड शुगर का स्तर अत्यधिक बढ़ जाता है या घटता है, तो यह शरीर में कई समस्याओं का कारण बन सकता है।
हाइपरग्लाइसेमिया (हाई ब्लड शुगर) की पहचान
यदि आपका फास्टिंग ब्लड शुगर स्तर 130 mg/dL से ज्यादा है, तो यह हाइपरग्लाइसेमिया (हाई ब्लड शुगर) का संकेत हो सकता है। लंबे समय तक हाई ब्लड शुगर रहने से डायबिटीज, हृदय रोग, किडनी रोग और नर्व सिस्टम की समस्याएं हो सकती हैं।
हाइपोग्लाइसीमिया (लो ब्लड शुगर) की रोकथाम
अगर आपका फास्टिंग ब्लड शुगर स्तर 70 mg/dL से कम है, तो यह हाइपोग्लाइसीमिया (लो ब्लड शुगर) हो सकता है। लो ब्लड शुगर से चक्कर, बेहोशी और गंभीर स्थितियों जैसे दौरे का खतरा हो सकता है।