अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को है। इस वर्ष यह तिथि एक ऐतिहासिक संयोग लेकर आ रही है, जब वृषभ राशि में चंद्रमा और गुरु के मिलन से गजकेसरी योग का अद्भुत निर्माण हो रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गजकेसरी योग को समृद्धि, सफलता और शुभ अवसरों का प्रतीक माना जाता है।
इस साल चारधाम यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। अब तक 20 लाख से अधिक श्रद्धालु पंजीकरण करवा चुके हैं। 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ इस पवित्र यात्रा का शुभारंभ होगा। इसके बाद 2 मई को केदारनाथ और 4 मई को बद्रीनाथ धाम के द्वार श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुलेंगे।
आज (27 अप्रेल, रविवार) को अमावस्या है। वैशाख माह की इस अमावस्या के सतुवाई अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सूर्य पूजन, पितरों के तर्पण और सत्तू दान का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रविवार और अमावस्या का संयोग अत्यंत पुण्यकारी होता है।
मां गंगा की पूजा का विशेष दिन यानी गंगा सप्तमी इस बार 3 मई को मनाई जाएगी। यह हिंदू पंचाग के अनुसार हर साल वैशाख शुक्ल सप्तमी पर आती है। इस बार गंगा सप्तमी पर तीन विशेष योग भी बन रहे हैं। ज्योतिष के अनुसार गंगा सप्तमी पर त्रिपुष्कर योग, शिववास योग, रवियोग, और साथ ही पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र का विशेष संयोग भी बन रहा है
रविवार, 27 अप्रैल को वैशाख मास की अमावस्या है, जिसे सतुवाई अमावस्या कहा जाता है। यह दिन विशेष रूप से पितरों के प्रति श्रद्धा और पूजा का होता है। इस दिन पर पूजा के साथ-साथ दान-पुण्य और पितरों के प्रति श्रद्धा की परंपराएँ निभाई जाती हैं। इस तिथि पर विशेष रूप से सूर्य पूजा की जाती है, क्योंकि सूर्य को रविवार का कारक ग्रह माना जाता है।
आज वरुथिनी एकादशी है। यह एकादशी हिंदू पंचांग में वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की तिथि को आती है। मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु के वराह रूप की आराधना की जाती है, जो विशेष रूप से कष्टों को दूर करने और सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला माना गया है।
वैष्णव परंपरा में महत्वपूर्ण मानी जाने वाली वरूथिनी एकादशी इस वर्ष 24 अप्रैल 2025, गुरुवार को मनाई जाएगी। यह व्रत वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आता है और भगवान विष्णु को समर्पित होता है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखने और पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
हर वर्ष वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाने वाला अक्षय तृतीया, इस बार 30 अप्रैल 2025 को पूरे देश में श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाएगा। इसे "अविनाशी फल" देने वाला दिन माना जाता है। ऐसा दिन जब किया गया हर शुभ कार्य, दान या निवेश कभी क्षीण नहीं होता।
हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरूथिनी एकादशी कहते हैं। यह एकादशी आत्मशुद्धि, संयम और मोक्ष की ओर बढ़ने की परंपरा का प्रतीक मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है और अनजाने में किए गए पाप कर्मों का क्षय होता है। धार्मिक मान्यताओं में इसे अत्यंत पुण्यदायी व्रत माना गया है।
शनि का उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश 28 अप्रैल 2025 को सुबह 7:52 बजे होने जा रहा है। यह एक दुर्लभ खगोलीय बदलाव है, जो करीब 27 साल बाद हो रहा है। इस गोचर का असर न सिर्फ व्यक्तिगत जीवन पर पड़ेगा, बल्कि समाज, आस्था और जीवनशैली से जुड़े कई पहलुओं को भी प्रभावित करेगा। धार्मिक मान्यताओं में इसे आत्म अनुशासन, न्याय और जिम्मेदारी से जुड़ा समय माना गया है।
चारधाम यात्रा का धार्मिक ही नहीं, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी बड़ा महत्व है। हर साल लाखों श्रद्धालु उत्तराखंड के चार प्रमुख तीर्थस्थलों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा करते हैं। इस वर्ष भी यह पवित्र यात्रा 30 अप्रैल 2025 से शुरू हो रही है
दुनिया भर में आज (18 अप्रेल) प्रभु यीशु के बलिदान का दिन गुड फ्राइडे मनाया जा रहा है। गुड फ्राइडे ईस्टर से ठीक पहले शुक्रवार को पड़ता है, ईसाई समाज के लिए यह अत्यंत पवित्र और भावनात्मक दिन होता है।
वैशाख मास की अक्षय तृतीया तिथि को हिन्दू समाज में एक अत्यंत पवित्र और अबूझ दिन के रूप में देखा जाता है। इस दिन कोई भी नया कार्य बिना किसी विशेष मुहूर्त के प्रारंभ किया जा सकता है। पारिवारिक खरीदारी हो, गृह प्रवेश, नया कारोबार शुरू करना हो या फिर विवाह संबंधी आयोजन—इस दिन को सभी शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त माना गया है।
विध्नहर्ता भगवान गणेश का व्रत विकट संकष्टी चतुर्थी इस बार बुधवार के विशेष संयोग के साथ आ रही है। यह व्रत इस बार 16 अप्रेल को है और इसी दिन बुधवार भी है, जो गणेश जी विशेष आराधना का दिन होता है। विकट संकष्टी चतुर्थी हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखती है।
हर साल लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक अमरनाथ यात्रा एक बार फिर शुरू होने जा रही है। जम्मू-कश्मीर स्थित बर्फ से ढकी पवित्र गुफा, जहां भगवान शिव ने माता पार्वती को अमर कथा सुनाई थी, इस यात्रा का आध्यात्मिक केंद्र है।
भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में ग्रहों की चाल और उनके आपसी संयोगों को विशेष महत्व दिया जाता है। यह केवल व्यक्तिगत जीवन में ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सामूहिक चेतना में भी प्रभाव डालते हैं। 20 अप्रैल 2025 को सुबह 4:20 बजे एक ऐसा ही विशिष्ट योग बन रहा है, जिसे नवपंचम राजयोग के रूप में जाना जाता है।
नुमान जन्मोत्सव के पावन अवसर पर देश भर के प्रमुख मंदिरों में आध्यात्मिक उल्लास का विशेष वातावरण देखा जा रहा है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा समेत कई राज्यों में हनुमान जी के मंदिरों में विशेष आयोजन किए जा रहे हैं। मंदिरों में श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से दर्शन किए और भोग चढ़ाया।
हनुमान जी का पंचमुखी मंदिर आपके शहर या कस्बे में भी अवश्य होगा। क्या है हनुमान जी का पंचमुखी रूप, क्यों उन्हें इस रूप में आना पड़ा। आज हनुमान जन्मोत्सव पर हम आपको हुनमान जी के इस अद्भूत रूप के बारे में बताएंगे।
भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी का आज जन्मोत्सव हैं। देशभर में इस मौके विशेष आयोजन हो रहे हैं। श्रद्धालु अपने आराध्य हनुमान जी का जन्मोत्सव मना रहे हैं। कहते हैं कि जिन पर हनुमान जी की कृपा होती हैं, उनके सारे दुख, दर्द, पीड़ाएं आदि दूर हो जाती हैं।
देशभर में हनुमान जन्मोत्सव 12 अप्रेल को मनाया जाएगा। इस बार यह अवसर इसलिए भी खास है क्योंकि इस दिन शनिवार है। जिस प्रकार से मंगलवार को हनुमान जी की विशेष पूजा होती है, उसी प्रकार शनिवार भी हनुमान जी की आराधना का दिन है। ऐसे में श्रद्धालुओं में इसे लेकर अतिरिक्त उत्साह और आस्था देखी जा रही है।
जन जन के आराध्य और भक्तों की हर मनोकामना पूरी करने वाले हनुमान जी का जन्मोत्सव चैत्र पूर्णिमा को मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत प्रातः 3:21 बजे और समापन 13 अप्रैल को शाम 5:51 बजे होगा। इस बार यह तिथि 12 अप्रेल को है।
11 अप्रैल 2025 कोई आम दिन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और खगोलीय प्रभावों से भरा एक विशिष्ट दिन है। इस दिन पंचांग में एक साथ पांच शुभ योग बन रहे हैं—वाशि योग, सुनफा योग, बुधादित्य योग, आनंदादि योग और मालव्य योग।
महावीर जयंती, भगवान महावीर के जन्मोत्सव के रूप में, जैन समाज और समाज के हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह दिन जैन मंदिरों में पूजा, प्रवचन और भक्ति संगीत के साथ मनाया जाता है, जबकि महावीर के पंचशील सिद्धांत आज भी नैतिकता और शांति का मार्गदर्शन करते हैं।
इस बार हनुमान जन्मोत्सव 12 अप्रैल 2025, शनिवार को मनाया जाएगा। इस अवसर पर देशभर में कई आयोजन होंगे। खासतौर पर हनुमान मंदिरों को सजाया जाएगा और पूजा अर्चना की जाएगी। इस बार कुछ विशेष राशियों पर हनुमान जी की कृपा रहेगी। उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव और नवीन संभावनाओं का संकेत लेकर आई है।