भारतीय सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में घर के मुख्य द्वार का विशेष स्थान है। इसे केवल एक प्रवेशद्वार न मानकर ऊर्जा, शांति और समृद्धि के प्रवाह का अहम मार्ग समझा जाता है।
जेठ माह में आने वाले मंगलवारों को लेकर उत्तर भारत में एक गहरा धार्मिक भाव जुड़ा है। इन्हीं में से सबसे विशेष दिन होता है अंतिम बड़ा मंगल, जो 10 जून 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन भक्तों के लिए सिर्फ एक पूजन तिथि नहीं, बल्कि समर्पण, सेवा और श्रद्धा की जीवंत मिसाल भी है।
पूर्णिमा तिथियों का सनातन धर्म में विशेष स्थान है। प्रत्येक पूर्णिमा का अपनी-अपनी धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताएं हैं, जिनमें से ज्येष्ठ पूर्णिमा को विशेष रूप से माना जाता है। यह दिन पूजा-पाठ, व्रत, स्नान, और दान के लिए उपयुक्त माना जाता है।
मुस्लिम समजा का दूसरा सबसे बड़ा पर्व बकरीद यानी ईद-उल-अजहा आज (7 जून, शनिवार) को मनाया जाएगा। मुस्लिम समाज में इस पर्व को लेकर खासा उत्साह है। सवेरे देशभर में मस्जिदों में विशेष नमाज होगी, इसके बाद एक दूसरे को मुबारक बाद दी जाएगी।
हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का स्थान अत्यंत विशेष है। इसे सभी एकादशियों में श्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन उपवास रखने वाले व्यक्ति को वर्षभर की सभी 24 एकादशियों का पुण्यफल प्राप्त होता है।
हर वर्ष आने वाली 24 एकादशियों में निर्जला एकादशी का विशेष स्थान है, जो ना केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक मानी जाती है, बल्कि आत्म अनुशासन और त्याग की भी चरम परीक्षा है। इस व्रत का पालन जेठ माह की भीषण गर्मी में किया जाता है, जब तपती धूप और बढ़ता तापमान शारीरिक संतुलन को चुनौती देता है।
गंगा दशहरा, सनातन धर्म में आस्था रखने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और मोक्ष की ओर बढ़ता एक आध्यात्मिक अवसर है। पुराणों के अनुसार, ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष दशमी तिथि को हस्त नक्षत्र में गंगा माता का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था। यह दिन हर वर्ष ‘गंगा दशहरा’ के रूप में मनाया जाता है।
हर साल ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मनाया जाने वाला गंगा दशहरा इस बार 5 जून 2025 को पड़ रहा है। यह पर्व न केवल गंगा नदी की आराधना का अवसर है, बल्कि दान, स्नान और संयम से जुड़े सामाजिक मूल्यों को भी उजागर करता है।
जून महीना प्रारंभ होने वाला है। भारतीय पंचांग के अनुसार इस महीने में हिंदू महीने ज्येष्ठ और आषाढ़ होंगे। जिनमें कई प्रमुख त्योहार, व्रत और उत्सव आएंगे। एक ओर गंगा दशहरा से निर्जला एकादशी तक उपवास और स्नान की परंपराएं निभाई जाएंगी, वहीं दूसरी ओर सामूहिक आस्था के प्रतीक जगन्नाथ रथ यात्रा जैसे उत्सव भी होंगे।
न्याय के देवता शनिदेव का जन्मोत्सव मंगलवार (27 मई) को मनाया जाएगा। इस अवसर पर शनि मंदिरों को विशेष तौर पर सजाया गया है। जहां दिनभर तेलाभिषेक और दान पुण्य के आयोजन होंगे। इस बार शनि जन्मोत्सव पर द्विपुष्कर, सर्वार्थ सिद्धि, सुकर्मा योग और कृत्तिक-रोहिणी नक्षत्र जैसे संयोग भी बन रहे हैं।
शनि जयंती का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. शनि जन्मोत्सव का पर्व हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। इस साल अमावस्या तिथि 26 मई दोपहर 12:11 बजे से शुरू होकर 27 मई सुबह 8:31 बजे तक है, ऐसे में उदयातिथि के अनुसार जन्मोत्सव 27 मई को मनाया जाएगा।
शनि जयंती का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. शनि जन्मोत्सव का पर्व हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। इस साल 26 मई और 27 मई दोनों दिन अमावस्या तिथि होने से लोगों में इस बात को लेकर असमंजस है कि शनि जन्मोत्सव कब मनाया जाए।
वट सावित्री व्रत आज (26 मई) को मनाया जा रहा है। हालाकि कई जगहों पर यह मंगलवार को भी मनाया जाएगा। इस बार वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या का संयोग श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष अवसर लेकर आया है।
वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या आज (26 मई) को मनाई जा रही है। इस बार अमावस्या पर सोमवार होने से शुभ संयाेग बन रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत करने से सौभाग्य, संतान सुख और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
ज्येष्ठ मास की अमावस्या इस बार 26 मई को मनाई जाएगी। इसे वट सावित्री अमावस्या भी कहते हैं। इस बार इसके सोमवार को आने से सोमवती अमावस्या के विशेष योग बन रहे हैं। यह अमावस्या पति की लंबी आयु, आत्मशुद्धि, पितृ तर्पण और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष मानी जाती है। इस दिन किए गए दान-पुण्य और तीर्थ स्नान से अक्षय पुण्य मिलता है
धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं में विशेष स्थान रखने वाली अपरा एकादशी इस वर्ष 23 मई, शुक्रवार को मनाई जाएगी। इसे ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी भी कहा जाता है। यह दिन भगवान विष्णु की उपासना के लिए समर्पित होता है। मान्यता है कि इस व्रत के पालन से जीवन में अपार पुण्य प्राप्त होता है, साथ ही मानसिक और आर्थिक कष्टों से भी मुक्ति मिलती है।
पति की दीर्घायु और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए मनाया जाने वाला वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ अमावस्या को मनाया जाता है। इस साल यह व्रत 26 मई, सोमवार को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 26 मई को दोपहर 12:11 बजे से शुरू होकर 27 मई सुबह 8:31 बजे तक रहेगी।
इस वर्ष शनि जयंती 27 मई 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी। यह दिन न्याय, कर्म और संतुलन के प्रतीक शनि ग्रह के प्राकट्य का पर्व है, जिसे देशभर में श्रद्धा और आत्मविचार के साथ मनाया जाता है। धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से यह दिन आत्मनिरीक्षण, विनम्रता और जीवन की दिशा को सुधारने का अवसर माना जाता है।
हर साल गंगा दशहरा के बाद शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस साल यह एकादशी 6 जून को मनाई जाएगी। इस मौके एक खास संयोग बन रहा है। तीन प्रमुख ग्रह शुक्र, बुध और बृहस्पति की युति बन रही है, जिससे यह दिन समाज, परिवार और आत्मिक विकास के लिए अत्यंत शुभ बन रहा है।
सूर्य देव आज (15 मई) वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे, जिसे वृषभ संक्रांति कहा जाता है। यह दिन न केवल ज्योतिषीय रूप से विशेष है, बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्व रखता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए कर्म विशेषकर स्नान, तर्पण और दान व्यक्ति के जीवन को शुद्ध और समृद्ध बनाते हैं।
हिंदू पंचांग का तीसरा महीना ज्येष्ठ महीना 13 मई से शुरू हो गया। अब यह 11 जून 2025 तक चलेगा। यह महीना केवल मौसम की तपिश के लिए नहीं जाना जाता, बल्कि धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी इसकी एक विशेष पहचान है।
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर आज देशभर में नृसिंह प्राकट्योत्सव मनाया जा रहा है। अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु इस दिन आधे नर और आधे सिंह के रूप में प्रकट हुए थे और हिरण्यकश्यप का वण किया था, जो स्वयं को भगवान मानने लगा था।
न्याय और कर्म के प्रतिनिधि शनिदेव ने 29 मार्च 2025 को मीन राशि में प्रवेश किया है। यह ग्रह अब जून 2027 तक इसी राशि में स्थित रहेगा। मीन राशि का स्वामी गुरु बृहस्पति होता है, और जब शनि इस भाव में प्रवेश करता है, तो यह स्थिति आध्यात्मिक दृष्टि से गंभीर मानी जाती है।
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाए जानेव वाला भगवान नृसिंह का जन्मोत्सव इस बार 11 मई, रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु ने एक अद्भुत रूप धारण कर अपने भक्त की रक्षा की और अधर्म का अंत किया।