नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है, जो देवी दुर्गा के छठे स्वरूप के रूप में प्रतिष्ठित हैं। यह रूप नारी शक्ति का प्रतीक है, जो न केवल कोमलता बल्कि अत्याचार और अन्याय के खिलाफ खड़ी होने की ताकत भी रखती है।
आज यानी 2 अप्रेल से मंगल ग्रह ने राशि परिवर्तन कर मिथुन से कर्क राशि में प्रवेश किया है। कर्क राशि में मंगल नीच का हो जाता है, जिससे इसकी शक्तियां कम हो जाती हैं। यह स्थिति 6 जून की रात तक बनी रहेगी, जिसके बाद मंगल सिंह राशि में प्रवेश करेगा।
चौघड़िया क्या है और इसे कैसे निकालते हैं?
चौघड़िया का परिचय-
चौघड़िया एक पारंपरिक हिंदू समय-विभाजन प्रणाली है, जिसका उपयोग शुभ और अशुभ समय निर्धारित करने...
नवरात्र मां दुर्गा की विशेष आराधना का पर्व है। इन नौ दिन तक माता के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। देश के साथ ही राजस्थान में भी मां शक्ति के अनेक मंदिर हैं। जहां हर साल न केवल नवरात्र में बल्कि बाकी दिन भी हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
नवरात्रि के नौ दिनों में चौथा दिन मां कूष्मांडा की पूजा के लिए समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कूष्मांडा सृजन और मातृत्व शक्ति की प्रतीक मानी जाती हैं। कहा जाता है कि जब संसार में अंधकार का साम्राज्य था, तब मां कूष्मांडा ने अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की।
नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि 2025 के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है।
ज्योतिष शास्त्र में देवगुरु बृहस्पति को ज्ञान, धर्म, वैवाहिक जीवन और समृद्धि का कारक माना गया है। बृहस्पति ग्रह प्रत्येक राशि में लगभग 13 महीने तक रहते हैं और उसके बाद दूसरी राशि में गोचर करते हैं। इस प्रक्रिया में बृहस्पति को एक ही राशि में पुनः लौटने में लगभग 12 वर्ष का समय लगता है।
नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि 2025 के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। मां का यह स्वरूप ब्रह्मचारिणी उस कन्या का प्रतीक है जो ज्ञान प्राप्त कर रही होती है।
आज से मां दुर्गा की विशेष आराधना का पर्व नवरात्रि शुरू हो रहा है। अब अगले नौ दिन तक घरों में मां के विभिन्न नौ रूपों की पूजा होगी। हालाकि इस बार नवरात्रि का एक दिन घटने से यह पर्व आठ दिनों का रहेगा।
आज 29 मार्च 2025 को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। यह आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse) होगा। खगोलीय दृष्टि से सूर्य ग्रहण एक महत्वपूर्ण घटना है, जो तब होती है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है। आंशिक सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह नहीं ढकता, बल्कि सूर्य का कुछ हिस्सा ही अंधकारमय दिखाई देता है।
हर साल की तरह इस बार भी हिंदू नववर्ष का शुभारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हो रहा है। विक्रम संवत 2082 का प्रारंभ चैत्र नवरात्रि के साथ हो रहा है, जो नौ दिनों तक माता के नौ स्वरूपों की आराधना का पर्व है।
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को पितरों की पूजा के लिए अत्यधिक शुभ माना गया है। खासकर जब यह तिथि शनिवार के दिन पड़े। आज शनिचरी अमावस्या है। इस दिन पितरों का तर्पण और पूजा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों की नाराजगी दूर होती है।
चैत्र नवरात्रि का आरंभ होने वाला है, जो मां दुर्गा की आराधना के पवित्र दिन माने जाते हैं। इन नौ दिनों में भक्तगण व्रत रखते हैं और पूरी श्रद्धा के साथ देवी मां की पूजा-अर्चना करते हैं। कुछ लोग पूरे नौ दिन निराहार रहते हैं, तो कुछ फलाहार या एक समय भोजन ग्रहण करते हैं। ऐसे में जरूरी है कि व्रत के दौरान नियमों का पालन किया जाए और शुद्ध आहार ही ग्रहण किया जाए।
हिन्दू नववर्ष 30 मार्च 2025 को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ हो रहा है। इस वर्ष का नाम सिद्धार्थ संवत्सर होगा और इसका वाहन घोड़ा रहेगा। नए वर्ष की शुरुआत रविवार को होने से संवत्सर के राजा और मंत्री सूर्य होंगे, जिससे सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं।
अप्रैल अंग्रेजी कैलेंडर का चौथा महीना है, जो भारतीय धार्मिक परंपरा में चैत्र और वैशाख मास का विशेष संयोग लेकर आता है। यह महीना हिंदू धर्म में पूजा-पाठ, दान-पुण्य और शुभ कार्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस महीने 29 और 30 तारीख को तीन बड़े ज्योतिषीय और धार्मिक संयोग बन रहे हैं। 29 मार्च को शनि अपनी चाल बदलकर कुंभ से मीन राशि में प्रवेश करेगें, जिससे कई राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढय्या का प्रभाव बदलेगा।
हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह न केवल देवी दुर्गा की आराधना का पर्व है, बल्कि हिंदू नववर्ष (विक्रम संवत) की भी शुरुआत इसी दिन से होती है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 30 मार्च 2025, रविवार से आरंभ हो रही है और रामनवमी 7 अप्रैल 2025 को संपन्न होगी।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब शनि देव और छाया ग्रह राहु एक ही राशि में आते हैं, तो इससे 'पिशाच योग' बनता है। इस बार यह दुर्लभ संयोग 29 मार्च को मीन राशि में बनने जा रहा है। शनि करीब ढाई साल बाद अपनी राशि बदल रहे हैं और मीन राशि में प्रवेश कर रहे हैं, जहां पहले से राहु स्थित है।
चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म का पावन पर्व है, जो मां दुर्गा की नौ दिवसीय आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दौरान भक्तगण महाकाली, महालक्ष्मी और मां सरस्वती की उपासना कर विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
हिन्दू धर्म में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन को ब्रह्मांड की रचना का प्रारंभ माना जाता है। विक्रम संवत 2082 इस बार 30 मार्च 2025 से शुरू हो रहा है और यह अनेक शुभ संयोगों के साथ आएगा। इस बार नव वर्ष के राजा और मंत्री दोनों सूर्य देव होंगे, जिससे समाज, राजनीति और अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।
उत्तराखंड की प्रसिद्ध चारधाम यात्रा 2025 को लेकर श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। यात्रा के लिए पहले ही दिन 1.65 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया, जिनमें सबसे ज्यादा बुकिंग केदारनाथ धाम के लिए हुई है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 30 मार्च 2025 से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होने जा रही है। यह समय मां दुर्गा की साधना और आध्यात्मिक उन्नति का होता है। इस दौरान 3 अप्रैल को मंगल का राशि परिवर्तन होने जा रहा है, जो कई राशियों के लिए शुभ संकेत लेकर आएगा। मंगल का यह गोचर समाज, धर्म और आर्थिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाएगा।
साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च को लगेगा। यह ग्रहण भारतीय समयानुसार दोपहर 2 बजकर 21 मिनट से शाम 6 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। हालांकि, यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, जिसके कारण इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।
हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी का विशेष महत्व है। यह पर्व माता शीतला को समर्पित है, जिन्हें रोगों से मुक्ति दिलाने वाली देवी माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु माता शीतला की विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं और उनसे स्वास्थ्य एवं समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं।