देश की अगली जनगणना की तारीख आखिरकार तय हो गई है। केंद्र सरकार ने 1 मार्च 2027 को जनगणना की संदर्भ तिथि घोषित करने का फैसला किया है। इस प्रक्रिया की अधिसूचना 16 जून 2025 को सरकारी राजपत्र में प्रकाशित होगी, जिसके बाद देशभर में जनगणना की तैयारियां औपचारिक रूप से शुरू हो जाएंगी। खास बात ये है कि इस बार जनगणना में जातिगत आंकड़े भी शामिल किए जाएंगे।
हिमालयी राज्यों में अक्टूबर 2026 से शुरू होगी प्रक्रिया
जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और उत्तराखंड जैसे दुर्गम इलाकों में मौसम की कठिनाइयों को देखते हुए वहां जनगणना प्रक्रिया अन्य राज्यों से पहले, अक्टूबर 2026 में ही शुरू कर दी जाएगी। इन इलाकों में हर साल सीमित समय में ही जनगणना जैसी प्रक्रियाएं पूरी करनी होती हैं, इसलिए केंद्र ने यह रणनीतिक फैसला लिया है।
जातिगत गणना को लेकर सरकार का बड़ा फैसला
अप्रैल में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ऐलान किया था कि कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति ने आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़ों को शामिल करने की मंजूरी दे दी है। सरकार इसे सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के सशक्तिकरण का अहम जरिया मान रही है। उन्होंने कहा था कि प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष होगी।
कोरोना की वजह से 2021 की जनगणना टल गई थी
असल में भारत में जनगणना 10 साल के अंतराल पर होती है। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। अगली जनगणना 2021 में होनी थी और उसके लिए तमाम तैयारियां भी हो चुकी थीं, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे टालना पड़ा। अब करीब 6 साल की देरी के बाद देश एक बार फिर से इस बड़ी कवायद के लिए तैयार है।
क्यों अहम है यह जनगणना और जातिगत आंकड़े?
इस बार की जनगणना महज जनसंख्या गिनने की प्रक्रिया नहीं होगी। यह सामाजिक न्याय, आरक्षण व्यवस्था, योजनाओं के दोबारा आकलन और नीति निर्माण के लिहाज से बहुत मायने रखती है। जातिगत आंकड़े सामने आने से यह पता चलेगा कि किस वर्ग की क्या स्थिति है और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए किन योजनाओं की जरूरत है।

- 1 मार्च 2027 को पूरे देश में जनगणना और जातिगत गणना शुरू होगी, अधिसूचना जून 2025 में जारी होगी।
- जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और उत्तराखंड में अक्टूबर 2026 से ही प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
- जातिगत आंकड़ों को पहली बार औपचारिक रूप से जनगणना में शामिल किया जाएगा।
- कोविड-19 के चलते 2021 की जनगणना नहीं हो सकी थी, जिससे देश को डेटा गैप का सामना करना पड़ा।
- नीति निर्माण और सामाजिक न्याय के लिए यह जनगणना बेहद अहम मानी जा रही है।