नेशनल ब्रेकिंग: हिसार के ऐतिहासिक अग्रोहा टीले की खुदाई का काम आखिरकार शुरू हो गया है। पुरातत्व विभाग ने नवग्रहों की पूजा के बाद खुदाई प्रक्रिया का शुभारंभ किया। यह स्थल तक्षशिला और मथुरा के बीच के प्राचीन व्यापार मार्ग पर स्थित था, जिसे अब सरकार राखीगढ़ी की तर्ज पर विकसित कर रही है।
पर्यटन और धार्मिक आस्था का केंद्र बनेगा अग्रोहा
अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल शरण गर्ग का मानना है कि महाराजा अग्रसेन का साम्राज्य पांच सौ वर्ग मील तक फैला हुआ था। ऐतिहासिक ग्रंथों में अग्रोहा का उल्लेख मिलता है, और यह स्थल आस्था के साथ-साथ पर्यटन के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनेगा। पुरातत्व विभाग के अनुसार, यह स्थान अग्रवाल समुदाय के राजा अग्रसेन की राजधानी था, और पिछली खुदाई में यहां से चौथी शताब्दी ईसा पूर्व से 14वीं शताब्दी तक के पांच सांस्कृतिक कालखंडों के प्रमाण मिले थे।
जीपीआर सर्वे के आधार पर धीमी गति से होगी खुदाई
पुरातत्व विभाग की उपनिदेशक बनानी भट्टाचार्य के अनुसार, टीले की ऊपरी परत को हटाने का काम शुरू हो चुका है। शुरुआती चरण में 10×10 मीटर के क्षेत्र में सफाई की गई, जिसमें दो से तीन इंच मिट्टी की परत हटाई गई। जीपीआर सर्वे के अनुसार, खुदाई धीमी गति से होगी ताकि ऐतिहासिक अवशेषों को सुरक्षित रखा जा सके।
मिट्टी और मलबे को व्यवस्थित ढंग से संरक्षित किया जा रहा
खुदाई से निकली अलग-अलग तरह की मिट्टी और मलबे को व्यवस्थित ढंग से संरक्षित किया जा रहा है। यह खुदाई न केवल ऐतिहासिक धरोहरों को उजागर करेगी बल्कि इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया जाएगा, जिससे क्षेत्र को नई पहचान मिलेगी।

- खुदाई का शुभारंभ: हिसार के ऐतिहासिक अग्रोहा टीले की खुदाई शुरू, पुरातत्व विभाग ने नवग्रह पूजा के साथ कार्य प्रारंभ किया।
- ऐतिहासिक महत्व: यह स्थल तक्षशिला-मथुरा के प्राचीन व्यापार मार्ग पर स्थित था और महाराजा अग्रसेन की राजधानी माना जाता है।
- सांस्कृतिक कालखंड: पिछली खुदाई में 4वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 14वीं शताब्दी तक के पांच ऐतिहासिक कालखंडों के प्रमाण मिले थे।
- पर्यटन केंद्र के रूप में विकास: सरकार इसे राखीगढ़ी की तर्ज पर विकसित कर रही है, जिससे यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनेगा।
- सुरक्षित खुदाई प्रक्रिया: जीपीआर सर्वे के आधार पर धीरे-धीरे खुदाई की जाएगी ताकि पुरातात्विक अवशेषों को संरक्षित किया जा सके।