नेशनल ब्रेकिंग. होली से पहेल गुरुवार से होलाष्टक की शुरुआत हो गई। ये फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होते हैं। इस साल ये 13 मार्च को होलिका दहन के साथ समाप्त होंगे। होलाष्टक वह समय होता है जो होली से पहले के आठ दिन तक चलता है। इन आठ दिनों का विशेष महत्व है क्योंकि इस समय में विवाह, गृह प्रवेश और मुंडन जैसे शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त नहीं होते। इन आठ दिनों में ग्रहों की स्थिति उग्र रहती है, जिससे इन दिनों में मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त नहीं होते। इन दिनों में विशेष पूजा से घर से नकारात्मक स्थितियां दूर होती हैं।
ग्रहों की उग्रता और मांगलिक कार्यों पर प्रभाव
होलाष्टक के दौरान विभिन्न ग्रहों की उग्र स्थिति होती है, जो मांगलिक कार्यों के लिए अनुकूल नहीं होती। ज्योतिष के अनुसार अष्टमी को चंद्र, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल, और पूर्णिमा को राहु उग्र स्थिति में रहते हैं। यही कारण है कि इन दिनों में शादी, गृह प्रवेश, या मुंडन जैसे कार्य करना अनुकूल नहीं माना जाता।
भक्त प्रह्लाद की कथा: होलिका दहन का पौराणिक महत्व
होलाष्टक के समय में प्राचीन पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है। यह कथा भक्त प्रह्लाद और उनके पिता हिरण्यकश्यपु की है, जिसमें होलिका दहन के पीछे का संदेश है। हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद को मारने के लिए कई यातनाएं दीं, लेकिन प्रह्लाद ने भगवान विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ी। आखिरकार, होलिका ने प्रह्लाद को आग में बैठने का प्रयास किया, लेकिन विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गए और होलिका जल गई। इस दिन को होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
होलाष्टक में क्या करें: पूजा और साधना के समय
होलाष्टक के आठ दिनों को पूजा, साधना और दान-पुण्य के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इन दिनों में विशेष रूप से हनुमान जी, शिव जी, और विष्णु जी की पूजा करना फायदेमंद होता है। तंत्र-मंत्र साधक इस समय विशेष अनुष्ठान करते हैं। घर में पूजा करते समय शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं, हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसके अलावा, भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा भी विशेष लाभकारी होती है।
होलिका दहन और भद्रा का असर
13 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा, लेकिन इस दिन भद्रा का साया रहेगा। भद्रा सुबह 10:20 बजे से लेकर रात 11:30 बजे तक रहेगी, इसलिए इस समय में होलिका दहन नहीं करना चाहिए। होलिका दहन के लिए शुभ समय रात 11:30 बजे के बाद होगा।