नेशनल ब्रेकिंग. होलिका दहन, जो होली के त्योहार के पहले दिन होता है, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। यह त्योहार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और इस दिन विशेष पूजा विधियों के साथ होलिका की पूजा की जाती है। इस साल, होलिका दहन 13 और 14 मार्च को होगा। कल यानी गुरुवार को दिनभर होलिका माता की पूजा होगी। यहां जानें इस पूजा के लिए आवश्यक सामग्री और शुभ मुहूर्त के बारे में।
होलिका दहन पूजा सामग्री
होलिका दहन पूजा के लिए कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है। इनमें प्रमुख रूप से कच्चा सूती धागा, नारियल, गुलाल पाउडर, रोली, अक्षत, धूप, फूल, गाय के गोबर से बनी गुलरी, बताशे, नया अनाज, मूंग की साबुत दाल, नारियल, सप्तधान, जल से भरा कलश, हल्दी का टुकड़ा और एक कटोरी पानी शामिल हैं। इन सभी सामग्रियों को एक थाली में सजाकर, घर के सभी सदस्य होलिका मइया की पूजा करते हैं।
होली के पकवान और भोग अर्पित करें
होलिका दहन पूजा के दिन, घर में बने हुए 7 प्रकार के पकवानों और पूजन सामग्री से होलिका पूजा की जाती है। इसके साथ ही भोग अर्पित किया जाता है और होलिका दहन को देखना भी शुभ माना जाता है। इस दिन का खास महत्व यह है कि इससे मन की नकारात्मकता का दहन होता है और मन की ऊर्जा में वृद्धि होती है।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
- – 13 मार्च, 2025 को रात 11:26 बजे से 14 मार्च, 2025 को रात 12:30 बजे तक रहेगा।
– पूर्णिमा तिथि: पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे शुरू होकर 14 मार्च को दोपहर 12:23 बजे समाप्त होगी।
– भद्राकाल: 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे से रात 11:26 बजे तक रहेगा। भद्राकाल में होलिका दहन करना वर्जित है, इसलिए इसे भद्राकाल के बाद ही किया जाता है।
होली से जुड़ी मान्यता
फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को कश्यप ऋषि के माध्यम से अनुसूया के गर्भ से चंद्रमा का जन्म हुआ था, और इसी दिन चंद्रमा की पूजा की विशेष मान्यता है। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से रोगों का नाश होता है और समृद्धि प्राप्त होती है। इसके साथ ही, होली के दिन पानी में दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा है।