Monday, April 28, 2025
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चीन से इजाजत मिली, पांच साल बाद फिर शुरू हुई कैलाश मानसरोवर यात्रा, 13 मई तक कर सकेंगे आवेदन

पांच वर्षों के लंबे इंतजार के बाद एक बार फिर श्रद्धालुओं को कैलाश मानसरोवर यात्रा का सौभाग्य प्राप्त होने वाला है। विदेश मंत्रालय ने शनिवार को इस धार्मिक यात्रा के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी है। इच्छुक यात्री 13 मई 2025 तक http://kmy.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस बार की यात्रा 30 जून से 25 अगस्त 2025 तक निर्धारित की गई है।

उत्तराखंड और सिक्किम से दो रास्तों के जरिए जत्थे रवाना होंगे

इस वर्ष यात्रा दो प्रमुख मार्गों से होगी। उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे और सिक्किम के नाथू ला पास से। लिपुलेख मार्ग से पांच जत्थे, प्रत्येक में 50 श्रद्धालुओं का समूह, कैलाश मानसरोवर के लिए प्रस्थान करेंगे। वहीं, सिक्किम के रास्ते दस जत्थे, प्रत्येक में 50 यात्रियों का जत्था, यात्रा पूरी करेगा। चीन के तिब्बत क्षेत्र में स्थित कैलाश मानसरोवर तक पहुंचने के लिए यात्रियों को इन दोनों मार्गों से गुजरना होगा।

भारत-चीन संबंधों में सुधार का संकेत, यात्रा और उड़ान सेवाएं बहाल

पिछले पांच वर्षों से कोविड महामारी और सीमा विवाद के चलते चीन ने भारतीय श्रद्धालुओं को कैलाश मानसरोवर यात्रा की अनुमति नहीं दी थी। हालांकि, हाल ही में दोनों देशों के संबंधों में आई सकारात्मकता के बाद यात्रा फिर से शुरू हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अक्टूबर 2024 में रूस के कजान शहर में हुई बैठक के बाद सीमा विवाद वाले क्षेत्रों डेमचोक और देपसांग से सेनाओं को पीछे हटाया गया था। इसके बाद भारत-चीन के बीच बंद पड़ी सीधी उड़ान सेवाएं भी जनवरी 2025 से बहाल हो गई हैं।

व्यास घाटी से दर्शन की व्यवस्था, श्रद्धालुओं को मिली राहत

कैलाश मानसरोवर यात्रा बंद रहने के दौरान श्रद्धालुओं ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की व्यास घाटी से पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन किए। उत्तराखंड पर्यटन विभाग, सीमा सड़क संगठन और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की मदद से एक ऐसा स्थान खोजा गया, जहां से कैलाश पर्वत के दर्शन होते हैं। 3 अक्टूबर 2024 को पहली बार इस स्थान से दर्शन की सुविधा औपचारिक रूप से शुरू की गई थी।

कैलाश पर्वत का धार्मिक महत्व और भारत-चीन के बीच समझौते

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, कैलाश पर्वत भगवान शिव और माता पार्वती का निवास स्थान है। वहीं, जैन धर्म में भी इसे अत्यंत पवित्र माना गया है, जहां प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ ने मोक्ष प्राप्त किया था। कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर भारत और चीन के बीच 2013 और 2014 में दो अलग-अलग समझौते हुए थे। एक समझौते के तहत लिपुलेख दर्रा और दूसरे के तहत नाथू ला पास के जरिए यात्रा का मार्ग प्रशस्त किया गया था। इन समझौतों की अवधि हर पांच साल बाद स्वतः बढ़ जाती है।

 Nationalbreaking.com । नेशनल ब्रेकिंग - सबसे सटीक
  • विदेश मंत्रालय ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू की, अंतिम तारीख 13 मई 2025 तय।
  • यात्रा 30 जून से 25 अगस्त 2025 के बीच आयोजित होगी, दो मार्ग- उत्तराखंड का लिपुलेख दर्रा और सिक्किम का नाथू ला पास।
  • पांच साल बाद भारत और चीन के संबंधों में सुधार के संकेत के बीच यात्रा की अनुमति मिली।
  • चीन से सहमति मिलने के बाद सीमावर्ती क्षेत्रों से सेनाओं की वापसी और सीधी फ्लाइट सेवाएं भी बहाल।
  • हिंदू और जैन धर्म के तीर्थ यात्रियों के लिए पवित्र स्थल कैलाश पर्वत के दर्शन का फिर से मिलेगा अवसर।
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