नेशनल ब्रेकिंग. होलाष्टक 14 मार्च को समाप्त हो गया, लेकिन विवाह जैसे मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त अभी भी नहीं मिलेंगे। इसका कारण यह है कि आज से खरमास प्रारंभ हो गया है, जो 14 अप्रैल तक चलेगा। हिंदू धर्म में सूर्य के धनु और मीन राशि में प्रवेश को खरमास कहा जाता है और इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, जनेऊ और मुंडन जैसे शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।
चंद्र ग्रहण का भारत में नहीं होगा प्रभाव
आज चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है, लेकिन यह भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका कोई सूतक प्रभाव नहीं रहेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, ग्रहण के दौरान धार्मिक कार्यों में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, लेकिन चूंकि यह भारत में मान्य नहीं है, इसलिए इसका किसी शुभ या अशुभ प्रभाव की आशंका नहीं है।
खरमास में क्या करें, क्या न करें?
खरमास के दौरान मांगलिक कार्यों पर रोक होती है, लेकिन इस दौरान पूजा-पाठ, जप-तप, शास्त्रों का अध्ययन, सत्संग और दान-पुण्य करने की परंपरा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस माह में सोने-चांदी के आभूषण, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक सामान, वाहन और घर की बुकिंग करना शुभ माना जाता है। हालांकि, विवाह की खरीदारी के लिए यह समय उचित है, लेकिन विवाह संपन्न नहीं कराए जाते।
खरमास क्यों होता है अशुभ?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य जब धनु या मीन राशि में होता है, तब यह देवगुरु बृहस्पति की राशि में माना जाता है। बृहस्पति ज्ञान, धर्म और गुरु का कारक ग्रह है और जब सूर्य देव उनके घर में रहते हैं, तो वे उनकी सेवा में तत्पर रहते हैं। इस कारण सूर्य की शुभता कम हो जाती है और सभी शुभ कार्यों में रुकावट आने लगती है। यही कारण है कि खरमास में विवाह, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों को वर्जित किया जाता है।
होलाष्टक के दौरान ग्रह क्यों होते हैं उग्र?
होलाष्टक के आठ दिनों के दौरान विभिन्न ग्रहों की स्थिति उग्र रहती है। इन दिनों में –
- फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को चंद्र
- नवमी को सूर्य
- दशमी को शनि
- एकादशी को शुक्र
- द्वादशी को गुरु
- त्रयोदशी को बुध
- चतुर्दशी को मंगल
- पूर्णिमा को राहु उग्र होता है।
ज्योतिष के अनुसार, जब ग्रह उग्र स्थिति में होते हैं, तो कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए। ग्रहों की अशुभता के कारण ही होलाष्टक और खरमास में विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्य नहीं किए जाते।
खरमास में पूजा-पाठ का महत्व
इस महीने में भगवान विष्णु, भगवान सूर्य, शिव जी और माता लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस दौरान व्रत, कथा, हवन और भागवत पुराण का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है।