हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ गई हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मानेसर लैंड स्कैम से जुड़े CBI ट्रायल पर लगी रोक को हटा दिया है, जिससे अब यह मामला दोबारा CBI स्पेशल कोर्ट पंचकूला में सुना जाएगा।
यह रोक करीब चार साल से लागू थी, जिसके चलते केस की सुनवाई थमी हुई थी। अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई द्वारा दर्ज मामले की अदालत में कार्यवाही फिर से शुरू की जाएगी।
CBI की चार्जशीट में 34 आरोपी, ट्रक में आई थी 80,000 पेज की रिपोर्ट
इस बहुचर्चित मामले में CBI ने पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा समेत कुल 34 लोगों को आरोपी बनाया था। इसमें प्रशासनिक अधिकारी, रियल एस्टेट बिल्डर्स और अन्य निजी व्यक्ति भी शामिल हैं।
CBI ने वर्ष 2019 में 80 हजार पेजों की चार्जशीट पंचकूला की अदालत में दायर की थी, जिसे ट्रक में भरकर कोर्ट लाया गया था। इतनी बड़ी चार्जशीट अपने आप में एक मिसाल बन गई थी।
क्या था मानेसर लैंड स्कैम?
इस केस की जड़ें 27 अगस्त 2004 से जुड़ी हैं, जब इनेलो सरकार ने गुरुग्राम के मानेसर, लखनौला और नौरंगपुर की कुल 912 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की। इस जमीन पर इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप (IMT) विकसित करने का नोटिस सेक्शन-4 के तहत जारी किया गया था।
सरकार बदलने के बाद 25 अगस्त 2005 को कांग्रेस शासन में तत्कालीन मुख्यमंत्री हुड्डा ने उस प्रक्रिया को रद्द कर दिया और सार्वजनिक कार्यों के लिए अधिग्रहण का सेक्शन-6 नोटिस जारी किया। इसमें किसानों को 25 लाख रुपए प्रति एकड़ का मुआवजा तय किया गया था।
लेकिन बिल्डरों ने किसानों को अधिग्रहण का डर दिखाकर उनकी जमीनें बेहद कम दामों में खरीद लीं। रिपोर्ट्स के अनुसार, 400 एकड़ जमीन करीब 100 करोड़ में खरीदी गई, जिसकी बाजार कीमत 1600 करोड़ रुपए आंकी गई थी। इस तरह किसानों को अनुमानित तौर पर 1500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
CBI और ED दोनों कर रहे हैं जांच
इस केस में मानेसर के पूर्व सरपंच ओम प्रकाश यादव की शिकायत पर हरियाणा पुलिस ने FIR दर्ज की, जिसे बाद में 15 सितंबर 2015 को CBI ने टेकओवर कर लिया।
इसके अलावा, सितंबर 2016 में ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। इस दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा से पूछताछ भी की गई थी।
अब दोबारा शुरू होगी सुनवाई
हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब यह मामला एक बार फिर CBI स्पेशल कोर्ट पंचकूला में आगे बढ़ेगा। इससे जुड़े सभी आरोपियों को अब अदालत की कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा।