लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने मंगलवार को न्यायपालिका में कथित विसंगतियों को लेकर स्थगन प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने सदन की नियमित कार्यवाही को निलंबित कर इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा कराने की मांग की।
तिवारी ने अपने प्रस्ताव में कहा कि कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका और स्वतंत्र प्रेस भारत के लोकतंत्र के चार स्तंभ हैं, और किसी भी स्तंभ में अस्थिरता से पूरे सिस्टम पर असर पड़ सकता है। उन्होंने हाल ही में जज के घर के पास कथित नोट मिलने के मामले को लेकर चिंता जताई और कहा कि इस घटना ने न्यायिक बिरादरी और आम जनता के बीच गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
“न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर मंडरा रहा खतरा” – मनीष तिवारी
कांग्रेस सांसद ने कहा कि न्यायपालिका की निष्पक्षता और अखंडता पर किसी भी तरह की आंच नहीं आनी चाहिए। उन्होंने संसद से आग्रह किया कि वह इस मुद्दे पर आगे आए, क्योंकि यह न्याय प्रणाली की निष्पक्षता और पारदर्शिता को प्रभावित करने वाला मामला हो सकता है।
सरकार से संसद में विस्तृत बयान देने की मांग
तिवारी ने सरकार से इस मुद्दे पर स्पष्ट और विस्तृत बयान देने की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि इस प्रकार की घटनाओं को अनदेखा किया गया, तो यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए गंभीर चुनौती बन सकती है।
इस बीच, सोमवार को लोकसभा और राज्यसभा में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार की संविधान से जुड़ी कथित टिप्पणी को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में टकराव देखने को मिला। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने इस मुद्दे पर सरकार का रुख स्पष्ट किया।
राज्यसभा में हंगामा, बीजेपी ने कांग्रेस पर बोला हमला
राज्यसभा में सोमवार को जोरदार हंगामा हुआ, जब भाजपा नेताओं ने डी.के. शिवकुमार पर ‘संविधान बदलने’ की बात कहने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने इस पर पलटवार किया और राज्यसभा में किरेन रिजिजू के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया।
संसद में न्यायपालिका से जुड़े मुद्दे पर हो रही बहस को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। अब देखना होगा कि सरकार और विपक्ष इस पर क्या रुख अपनाते हैं।

- लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने न्यायपालिका में विसंगतियों को लेकर स्थगन प्रस्ताव पेश किया।
- उन्होंने कहा कि कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका और स्वतंत्र प्रेस लोकतंत्र के चार स्तंभ हैं, और किसी भी स्तंभ की अस्थिरता पूरे सिस्टम पर असर डाल सकती है।
- न्यायपालिका की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए संसद को इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए।
- सरकार से इस मुद्दे पर सदन में विस्तृत बयान देने की मांग की गई, ताकि न्याय प्रणाली की अखंडता पर कोई आंच न आए।
- राज्यसभा में कर्नाटक के डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार की संविधान को लेकर कथित टिप्पणी पर जोरदार हंगामा हुआ, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित रही।