रविवार, जून 15, 2025
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चिन्नास्वामी भगदड़ केस: गिरफ्तारी को निखिल सोसले ने बताया राजनीतिक साजिश, कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई आज

कर्नाटक हाईकोर्ट में मंगलवार को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के मार्केटिंग और रेवेन्यू हेड निखिल सोसले की गिरफ्तारी को लेकर अहम सुनवाई होनी है। निखिल को 6 जून को एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भगदड़ के मामले में बेंगलुरु की सेंट्रल क्राइम ब्रांच (CCB) ने गिरफ्तार किया था।

सोसले की ओर से दाखिल याचिका में गिरफ्तारी की वैधता पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया गया है कि यह कार्रवाई मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के निर्देश पर की गई थी, न कि जांच प्रक्रिया के तहत।

जज बोले– सुबह 10:30 बजे सुनवाई

9 जून को हुई पिछली सुनवाई में कोर्ट ने निखिल को कोई अंतरिम राहत नहीं दी थी। जस्टिस एसआर कृष्ण कुमार ने यह स्पष्ट किया कि इस याचिका पर अलग से सुनवाई की जाएगी, जिसकी शुरुआत मंगलवार सुबह 10:30 बजे होगी।

सोसले के वकील संदेश चौटा ने कोर्ट में तर्क दिया कि जिस थाने की सीमा में घटना हुई, वहां की पुलिस नहीं बल्कि CCB ने गिरफ्तारी की, जो अपने आप में अधिकार क्षेत्र से बाहर की कार्रवाई थी।

सीएम के निर्देश पर गिरफ्तारी का दावा

चौटा ने सीधा आरोप लगाया कि यह गिरफ्तारी पुलिस कार्रवाई नहीं, बल्कि एक राजनीतिक निर्देश का नतीजा थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ‘डीके बसु बनाम राज्य’ फैसले का हवाला देते हुए कहा कि किसी को बिना सूचना और उचित प्रक्रिया के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।

उन्होंने सवाल उठाया कि जब राज्य सरकार ने खुद जांच CID को सौंप दी थी, तो CCB की भूमिका कैसे बनी? कोर्ट ने भी पूछा– क्या किसी ने मुख्यमंत्री को खुलकर यह कहते हुए सुना कि गिरफ्तारियां होंगी?

सरकार की दलील– अधिकारी अपना काम कर रहे थे

राज्य की ओर से पेश एडवोकेट जनरल शशिकिरण शेट्टी ने कहा कि अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे थे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि निखिल सोसले को एयरपोर्ट पर सुबह 5 बजे गिरफ्तार किया गया, यह कोई लंच टेबल से उठाया गया मामला नहीं था।

शेट्टी ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद सोसले की रिमांड पहले ही हो चुकी थी, जिससे अंतरिम राहत की आवश्यकता नहीं रह जाती।

सुप्रीम कोर्ट के अर्नब केस का हवाला

जस्टिस कृष्ण कुमार ने अर्नब गोस्वामी केस में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को दोहराया, जिसमें कहा गया था कि यदि प्रारंभिक प्रमाण नहीं हैं, तो अंतरिम जमानत पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अब मुख्य प्रश्न यह है कि जब जांच CID को सौंपी जा चुकी थी, तब क्या CCB को गिरफ्तारी का अधिकार रह गया था?

KSCA ने भगदड़ की जिम्मेदारी से झाड़ा पल्ला

उधर, इस मामले में कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (KSCA) के तीन अधिकारियों ने अपने खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की है। हाईकोर्ट ने उन्हें 16 जून तक गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दे दी है। KSCA का कहना है कि स्टेडियम के बाहर की भीड़ को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी RCB और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी DNA नेटवर्क्स की थी।

सरकार ने KSCA, RCB और DNA नेटवर्क के खिलाफ FIR दर्ज करवाई थी, जिसके बाद यह गिरफ्तारी प्रक्रिया शुरू की गई। मामले में कानूनी पेचीदगियां और राजनीतिक आरोपों का समावेश इसे हाईप्रोफाइल बना रहा है, जिस पर पूरे राज्य की नजर है।

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